कहानी

कहानी एक रूपकथन है जो किसी घटना, घटनाक्रम, या किसी व्यक्ति की जीवनी को रूपांतरित करके प्रस्तुत की जाती है। यह एक कल्पनाशील या वास्तविक घटना हो सकती है और उसमें प्रमुख पात्रों की प्रेरणा, संघर्ष, और उनकी विकास यात्रा को दर्शाती है।

कहानी में सामाजिक, सांस्कृतिक, आदान-प्रदान, और मूल्यों का परिचय होता है जो पाठकों को सीखने और समझने में मदद करता है। कहानी के भविष्यवाणी, उत्तरदाता, और संदेश के माध्यम से यह उद्देश्य प्राप्त करती है।

कहानी का मुख्य उद्देश्य पाठकों को मनोरंजन करना और सोचने पर आमंत्रित करना होता है, साथ ही उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझाना और सिखाना भी।

कहानियाँ आमतौर पर दो मुख्य प्रकार की होती हैं

1. वास्तविक कहानियाँ

यह कहानियाँ वास्तविक घटनाओं, व्यक्तिगत अनुभवों, या ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित होती हैं। इन कहानियों में वही घटनाएँ, पात्र, और स्थान होते हैं जो वास्तविकता में हुई होती हैं।

2. काल्पनिक कहानियाँ

यह कहानियाँ लेखक की कल्पना और सृजनाशीलता पर आधारित होती हैं। इनमें कल्पित पात्र, स्थान, और घटनाएँ होती हैं, जो वास्तविकता से भिन्न होती हैं।

इन दो प्रकार की कहानियाँ लेखकों द्वारा रची जाती हैं, और वे विभिन्न रूपों और शैलियों में हो सकती हैं। वास्तविक कहानियाँ अक्सर नॉन-फिक्शन लेखन के रूप में लिखी जाती हैं, जबकि काल्पनिक कहानियाँ फिक्शन लेखन का हिस्सा हो सकती हैं।

कहानी के तत्व

  1. शीर्षक
  2. कथा
  3. पात्र और चरित्र चित्रण
  4. कथोप–कथन
  5. शैली
  6. देश
  7. काल उद्देश्य

शीर्षक (Title)

कहानी का शीर्षक रोचक और आकर्षक होना चाहिए। यह पाठकों की ध्यान खींचने के लिए महत्वपूर्ण है और कहानी की मुख्य विषय सीधे रूप में प्रकट करना चाहिए।

कथा (Plot)

कथा कहानी की मुख्य घटनाओं का संचार करती है। यह बताती है कि प्रमुख पात्र कैसे चुनौतियों का सामना करते हैं और उन्हें कैसे संकेत दिए जाते हैं।

पात्र और चरित्र चित्रण (Characters and Characterization)

पात्रों की व्यक्तिगतता, भावनाएँ, और विचारधारा का चित्रण कहानी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कथोपकथन (Narrative)

कहानी की घटनाओं का विवरण और कहानी की प्रगति को संरचित रखने में मदद करता है।

शैली (Style)

कहानी की भाषा-शैली लेखक की व्यक्तिगतता, संवेदनशीलता, और लेखनी सृजन का परिचायक होती है।

देश काल (Setting)

कहानी के घटनाक्रम का स्थान और समय।

उद्देश्य (Purpose)

कहानी का मुख्य उद्देश्य जिस संदेश को पाठकों को प्रदान करना हो, उसे स्पष्ट करता है।

हास्यास्पद कहानी

गीदड़ और ऊंट 

एक जंगल में गीदड़ और ऊंट रहते थे। एक दिन गीदड़ ने ऊंट  से कहा, नदी पार गन्नों का खेत है, चलो आज रात  वहां गन्ने खाने चलते हैं। ऊंट ने पूछा कि तुम कैसे नदी पार करोगे, तुम्हें तो तैरना नहीं आता। गीदड़ ने कहा कि देखो मैंने तुम्हें गन्ने के खेत के बारे में बताया, तुम मुझे अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार करवा देना। हम अंधेरे में ही चुपचाप गन्ने खाकर आ जायेंगे, खेत का मालिक नहीं जागेगा।दोनों नदी पारकर खेत में गये और पेटभर कर गन्ने खाये। ऊंट ने कहा चलो वापिस चलते हैं। लेकिन गीदड़ अचानक गर्दन ऊपर उठाकर ‘‘हुआं-हुआं’’ करने लगा। ऊंट ने उसे रोका, कि ऐसा मत करो, खेत का मालिक जाग जायेगा और हमें मारेगा। गीदड़ ने कहा कि खाना खाने के बाद अगर वह ‘‘हुआं-हुआ’’ न करे तो खाना नहीं पचता। और वह और ज़ोर से ‘‘हुंआ-हुंआ’’ करने लगा। खेत का मालिक जाग गया और डंडा लेकर दौड़ा। गीदड़ तो गन्नों में छुप गया और ऊंट को खूब मार पड़ी।तब वे फिर नदी पार कर लौटने लगे और गीदड़ ऊंट की पीठ पर बैठ गया। गहरी नदी के बीच में पहुंचकर ऊंट डुबकियां लेने लगा। गीदड़ चिल्लाया अरे ऊंट भाई, यह क्या कर रहे हो, मैं डूब जाउंगा। ऊंट ने कहा कि खाना खाने के बाद जब तक मैं पानी में डुबकी नहीं लगा लेता मेरा भोजन नहीं पचता। ऊंट ने एक गहरी डुबकी लगाई और गीदड़ डूब गया।अब अध्यापक ने बच्चों से पूछा ‘‘ बच्चो, इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?’’एक बच्चे ने उठकर कहा ‘‘ इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि खाना खाने के बाद ‘‘हुंआ-हुंआ नहीं करना चाहिए।

काल्पनिक कहानी

’’गुल्लक: भरी या ख़ाली!

चुनमुन के पास मिट्टी की एक सुंदर गुल्लक थी, गुड्डे के आकार की। उस गुड्डे के सिर पर एक लंबा छेद था, जिससे चुनमुन उसके अंदर सिक्के डालती थी। उसकी मम्मी रोज़ उसे एक सिक्का देती थीं। चुनमुन गुल्लक को हिलाती थी तो खन-खन की आवाज़ के साथ सिक्के हिलते थे। इससे चुनमुन को पता चल जाता था कि गुल्लक अभी थोड़ी ख़ाली है।फिर एक दिन ऐसा हुआ कि उसने गुल्लक को धीरे से हिलाया, लेकिन कोई आवाज़ ही नहीं आई। उसने फिर से, थोड़ा ज़ोर-से गुल्लक को हिलाया, फिर भी आवाज़ नहीं हुई। चुनमुन खुशी से चिल्ललाई, ‘मम्मी…मेरी गुल्लक भर गई। देखो न! आवाज़ ही नहीं आ रही है।’चुनमुन के आस-पास बहुत से खिलौने पड़े हुए थे। उन्होंने यह बात सुनी। वे आपस में काना-फूसी करने लगे …. कार बोली, ‘सुना तुमने, गुल्लक पूरी भर गई है।‘ ‘हां, मैंने भी सुना। कितने सारे पैसे होंगे अंदर!’ जोकर बोला।’काश, मैं इस पैसे वाले गुड्डे से शादी कर पाऊँ, फिर मेरे पास भी ढेर सारे पैसे हो जाएँगे।’ गुड़िया ने कहा।धीरे-धीरे सभी खिलौने इस गुड्डे का बहुत आदर करने लगे। उन्हें उसकी बातें बहुत अच्ची लगती थीं।खिलौने उसकी तारीफ़ करते और कहते-‘देखो, कैसी राजकुमार जैसी छवि है।”अब तो हिलाने से भी आवाज़ नहीं करता।”अरे, बड़े लोग ऐसे ही होते हैं।”हाँ भई, जब आपके पास पैसा हो तो अपने आप ऐसी सभ्यता आ जाती है।’इस तरह सब खिलौने उसके आस-पास मँडराते रहते थे।कुछ दिनों के बाद चुनमुन का जन्मदिन आया। वह बहुत खुश थी, क्योंकि वह समय आ गया था, जब उसे अपनी गुल्लक के पैसे निकालने थे। उसे यह गुल्लक बहुत पसंद थी, इसीलिए मम्मी ने उसके लिए इसी तरह की और गुल्लक लाकर रखी थी – एक और सुंदर गुड्डा।चुनमुन अपने कमरे में आई और पुरानी गुल्लक को उठाकर नई गुल्लक उसकी जगह रख दी। उसने नई गुल्लक को हिलाकर देखा। उसमें से भी कोई आवाज़ नहीं आई- क्योंकि वह ख़ाली थी। उसमें कोई सिक्का था ही नहीं।उसके खिलौनों ने देखा कि ख़ाली गुड्डा भी उतना ही सुंदर था, जितना भरा हुआ था। इससे भी कोई आवाज़ नहीं आ रही थी, यह भी शांत खड़ा हुआ था।और तब उन्हें समझ में आया कि शांत और सभ्य होने के लिए पैसे वाला होना ज़रूरी नहीं है। इसीलिए वे नए गुड्डे का भी उतना ही आदर करते थे, जितना पुराने, भरे हुए गुड्डे का करते थे।

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