स्कैफोल्डिंग की शुरुआत मनोवैज्ञानिक जेरोम ब्रूनर ने 1960 के दशक में की थी । जिसमें उन्होंने अपने मचान सिद्धांत के अनुसार स्कैफोल्डिंग को समझाने का प्रयास किया था । इस प्रक्रिया में छात्र को यदि सीखते समय सहायता प्रदान की जाती है तो वह उसे ज्ञान का स्वतंत्र रूप से उपयोग करने में बेहतर होते जाते हैं।
वायगोत्स्की का सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत ने स्कैफोल्डिंग को समीपस्थ विकास का क्षेत्र (ZPD) के माध्यम से समझाने का प्रयास किया । उन्होंने बताया कि बालक द्वारा बिना किसी की सहायता से किया गया कार्य तथा इस कार्य को किसी व्यक्ति के सहायता से और अधिक संभावित स्तर तक कार्य को बढ़ाने के लिए किया गया प्रयास , इन दोनों के मध्य जो अंतर होता है उसे समीपस्थ विकास क्षेत्र कहा जाता है इसे निम्न फॉर्मूला से समझा जा सकता है –
Y – X = ZPD
Y – जो बच्चे ने समाज से ज्ञान लिया । (MKO)
X – जो बच्चे को पहले से ज्ञान है ।
उक्त फार्मूले को निम्न डायग्राम के द्वारा समझा जा सकता है –
![](https://www.e-pathshala.com/wp-content/uploads/2023/11/SAVE_20231108_094644-238x300.jpg)
वायगोत्स्की के अनुसार, माता-पिता, देखभाल करने वाले, सहकर्मी और बड़े पैमाने पर संस्कृति उच्च-क्रम के कार्यों को विकसित करने के लिए ज़िम्मेदार हैं। उनका मानना था कि बच्चे अधिक जानकार अन्यों (MKO) की संगति में सर्वश्रेष्ठ सीखते हैं जो माता-पिता, शिक्षक या सहपाठी हो सकते हैं। MKO की संगति में बच्चे नई जानकारी को समझते हैं और इसे अपनाते हैं, जिससे उनका विकास मार्गदर्शन में सहारा लेने में मदद मिलती है।
वायगोत्स्की के अनुसार स्कैफ़ोल्डिंग
उपरोक्त में समाज या किसी अन्य द्वारा बच्चों को कार्य करने में जो सहायता मिली उसे हटा लिया जाता है तथा बच्चा धीरे-धीरे बिना समर्थन के कार्य करना सीख जाता है इसे ही स्कैफ़ोल्डिंग कहते हैं।
छोटे बच्चों के लिए Scaffolding का उदाहरण:
गणित की समस्या समझाते समय
- स्तर 1 (आरंभिक): शिक्षक बच्चों को एक आसान गणित समस्या प्रस्तुत करते हैं, जैसे “2 + 3 = ?”।
- स्तर 2 (मध्यम): शिक्षक बच्चों को सहायता प्रदान करते हैं जब वह समस्या समझ नहीं पा रहे हैं। वह उन्हें दिखाते हैं कि कैसे उत्तर प्राप्त किया जा सकता है, जैसे “2 + 3 का मतलब 2 से शुरू होकर 3 बार आगे बढ़ाना है”।
- स्तर 3 (उच्च):शिक्षक बच्चों को और अधिक सम्पूर्ण समझ दिलाते हैं, जैसे “2 से शुरू करके 3 बार आगे बढ़ाने पर हमें 5 मिलता है।”
इसके पश्चात कोई अन्य गणितीय प्रश्न देकर बच्चों की समझ को प्रयोगात्मक करने का प्रयास किया जाता है ।
इस रूप में, शिक्षक बच्चों को समस्या को समझने में मदद करते हैं, सहायता प्रदान करते हैं जब आवश्यकता होती है, और समस्या के हल की प्रक्रिया को समझाते हैं। यह स्कैफ़ोल्डिंग का उदाहरण है, जिससे बच्चे गणित को समझने में सक्षम होते हैं।
स्कैफ़ोल्डिंग के लाभ
- व्यक्तिगतीकरण (Personalization): यह छात्रों को उनकी आत्म-समझ, रुचि, और स्तर के अनुसार शिक्षा प्रदान करने की अनुमति देता है।
- आत्म-मूल्यमान (Self-Esteem): स्कैफ़ोल्डिंग से, छात्र सही जवाब प्राप्त करने में सफलता प्राप्त करते हैं, जिससे उनका आत्म-मूल्यमान बढ़ता है।
- आत्म-नियंत्रण (Self-Control): यह छात्रों को अपनी सीखने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने की क्षमता प्रदान करता है, जिससे वे अधिक स्वतंत्रता से पढ़ाई कर सकते हैं।
- सहयोग (Collaboration): शिक्षक और पाठ्यक्रम के साथ सहयोग से, छात्रों को सहायता मिलती है जो विशेष गहराई में समझाई जाती है।
- स्वतंत्रता (Independence): स्कैफ़ोल्डिंग से संदर्भित सीखने की प्रक्रिया में सहायता मिलने से, छात्र नई ज्ञान और कौशल को स्वतंत्रता से उपयोग कर सकते हैं।
- स्वास्थ्य (Confidence): सही संरचना और सहायता से, छात्रों का आत्म-विश्वास बढ़ता है, जिससे वे नए और जटिल कार्यों में भी समर्थ हो सकते हैं।
- अधिगम (Achievement): स्कैफ़ोल्डिंग से, छात्र अधिगम के क्षेत्र में अधिक सफल हो सकते हैं, क्योंकि वह सहायता के साथ सीखने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं।
इस तरह, स्कैफ़ोल्डिंग के लाभ छात्रों को अध्ययन में समर्थन और संदर्भित करने में मदद कर सकते हैं।