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यह रहे CTET के पिछले वर्षों में आए बाल विकास और शिक्षाशास्त्र (Child Development and Pedagogy) से संबंधित 50 MCQs हिंदी में:
- बच्चा केंद्रित कक्षा की विशेषता कौन सी है?
A. शिक्षक मुख्य प्राधिकरण होता है
B. छात्र सीखने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं
C. रटने पर जोर दिया जाता है
D. शिक्षण शांत और नियंत्रित वातावरण में होता है
उत्तर: B. छात्र सीखने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं
- पियाजे के अनुसार, किस अवस्था में बच्चा अमूर्त अवधारणाओं पर मानसिक क्रियाएं करना सीखता है?
A. संवेदी-गति अवस्था
B. पूर्व-संचालन अवस्था
C. मूर्त संचालन अवस्था
D. औपचारिक संचालन अवस्था
उत्तर: D. औपचारिक संचालन अवस्था
- वाइगोत्स्की के अनुसार, सीखना तब होता है जब बच्चा किसके साथ अंतःक्रिया करता है?
A. समीपवर्ती विकास क्षेत्र
B. वास्तविक विकास क्षेत्र
C. अमूर्त तर्क का क्षेत्र
D. संज्ञानात्मक विकास का क्षेत्र
उत्तर: A. समीपवर्ती विकास क्षेत्र
- निम्नलिखित में से कौन सी प्रगतिशील कक्षा की विशेषता है?
A. रटने पर जोर
B. समस्या समाधान और आलोचनात्मक सोच पर जोर
C. शिक्षक केंद्रित दृष्टिकोण
D. निष्क्रिय छात्र
उत्तर: B. समस्या समाधान और आलोचनात्मक सोच पर जोर
- ‘मल्टीपल इंटेलिजेंस’ की अवधारणा किस सिद्धांतकार से संबंधित है?
A. हावर्ड गार्डनर
B. बी.एफ. स्किनर
C. जीन पियाजे
D. लेव वाइगोत्स्की
उत्तर: A. हावर्ड गार्डनर
- ‘स्कैफोल्डिंग’ किस सिद्धांत से संबंधित अवधारणा है?
A. सामाजिक अधिगम सिद्धांत
B. बहु-बुद्धिमत्ता सिद्धांत
C. निर्माणवादी सिद्धांत
D. सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत
उत्तर: D. सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत
- निम्नलिखित में से कौन विकास का सिद्धांत नहीं है?
A. विकास जीवन पर्यंत होता है
B. विकास एकदिशात्मक होता है
C. विकास बहुआयामी होता है
D. विकास लचीला होता है
उत्तर: B. विकास एकदिशात्मक होता है
- कोहल्बर्ग के अनुसार, किस नैतिक विकास स्तर में कार्यों के परिणाम (पुरस्कार और दंड) के आधार पर निर्णय लिया जाता है?
A. पूर्व-परंपरागत
B. परंपरागत
C. पश्च-परंपरागत
D. स्वायत्त
उत्तर: A. पूर्व-परंपरागत
- एक शिक्षक देखता है कि एक छात्र केवल उसकी सहायता से समस्याओं को हल कर सकता है। वाइगोत्स्की के अनुसार, यह बच्चा किस विकास क्षेत्र में है?
A. व्यक्तिगत आराम क्षेत्र
B. समीपवर्ती विकास क्षेत्र
C. वर्तमान उपलब्धि क्षेत्र
D. न्यूनतम प्रयास क्षेत्र
उत्तर: B. समीपवर्ती विकास क्षेत्र
- निम्नलिखित में से कौन सा तरीका छात्रों की सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करता है?
A. व्याख्यान विधि
B. भूमिका-नाटिका
C. तानाशाही
D. मौन पाठन
उत्तर: B. भूमिका-नाटिका
- पियाजे के सिद्धांत के अनुसार, बच्चे वस्तु स्थायित्व किस अवस्था में प्राप्त करते हैं?
A. संवेदी-गति अवस्था
B. पूर्व-संचालन अवस्था
C. मूर्त संचालन अवस्था
D. औपचारिक संचालन अवस्था
उत्तर: A. संवेदी-गति अवस्था
- किसी विशिष्ट उत्तेजना पर ध्यान केंद्रित करने और अप्रासंगिक उत्तेजनाओं को अनदेखा करने की क्षमता को क्या कहते हैं?
A. चयनात्मक ध्यान
B. विभाजित ध्यान
C. निरंतर ध्यान
D. वैकल्पिक ध्यान
उत्तर: A. चयनात्मक ध्यान
- एरिकसन के अनुसार, किशोरावस्था के दौरान व्यक्ति किस मनोवैज्ञानिक संघर्ष का सामना करता है?
A. पहल बनाम अपराधबोध
B. उद्योग बनाम हीनता
C. पहचान बनाम भूमिका भ्रम
D. स्वायत्तता बनाम लज्जा
उत्तर: C. पहचान बनाम भूमिका भ्रम
- बंदुरा के सामाजिक अधिगम सिद्धांत के अनुसार, सीखना किसके माध्यम से होता है?
A. कंडीशनिंग
B. अवलोकन और अनुकरण
C. संज्ञानात्मक विकास
D. औपचारिक शिक्षा
उत्तर: B. अवलोकन और अनुकरण
- यदि कोई छात्र पुरानी पाठ्य सामग्रियों को याद नहीं कर पा रहा है, लेकिन हाल के पाठों को आसानी से याद कर रहा है, तो इसे क्या कहा जाता है?
A. रेट्रोग्रेड एम्नेशिया
B. एंट्रोग्रेड एम्नेशिया
C. पूर्वधारणात्मक हस्तक्षेप
D. ह्रास सिद्धांत
उत्तर: A. रेट्रोग्रेड एम्नेशिया
- ‘अंतर्निहित प्रेरणा’ (Intrinsic Motivation) किसे कहा जाता है?
A. बाहरी पुरस्कारों से प्राप्त प्रेरणा
B. व्यक्तिगत संतोष से उत्पन्न प्रेरणा
C. दंड के डर से उत्पन्न प्रेरणा
D. दूसरों को खुश करने की प्रेरणा
उत्तर: B. व्यक्तिगत संतोष से उत्पन्न प्रेरणा
- पियाजे के अनुसार, किस अवस्था में बच्चे ठोस घटनाओं के बारे में तार्किक रूप से सोचना शुरू करते हैं?
A. पूर्व-संचालन अवस्था
B. मूर्त संचालन अवस्था
C. संवेदी-गति अवस्था
D. औपचारिक संचालन अवस्था
उत्तर: B. मूर्त संचालन अवस्था
- छात्रों को प्रभावी ढंग से सिखाने के लिए सबसे उपयुक्त विधि कौन सी है?
A. उन्हें लंबे व्याख्यान देना
B. उन्हें प्रश्न पूछने और अन्वेषण के लिए प्रोत्साहित करना
C. उन्हें महत्वपूर्ण तथ्यों को याद करने के लिए कहना
D. उन्हें एक शांत वातावरण प्रदान करना
उत्तर: B. उन्हें प्रश्न पूछने और अन्वेषण के लिए प्रोत्साहित करना
- कक्षा में फॉर्मेटिव आकलन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
A. अंतिम प्रदर्शन का मूल्यांकन करना
B. चल रहे सीखने की निगरानी और सुधार करना
C. छात्रों को उनकी प्रदर्शन रैंकिंग देना
D. अंतिम ग्रेड प्रदान करना
उत्तर: B. चल रहे सीखने की निगरानी और सुधार करना
- ‘रचनावाद’ (Constructivism) किस बात पर जोर देता है?
A. रट कर सीखना
B. शिक्षार्थियों द्वारा ज्ञान का सक्रिय निर्माण
C. पुनर्बलन द्वारा सीखना
D. शिक्षक केंद्रित कक्षाएं
उत्तर: B. शिक्षार्थियों द्वारा ज्ञान का सक्रिय निर्माण
- कोहल्बर्ग के नैतिक विकास सिद्धांत के अनुसार, ‘पश्च-परंपरागत स्तर’ का मुख्य आधार क्या होता है?
A. व्यक्तिगत नैतिकता
B. सामाजिक नियम
C. पारिवारिक मूल्य
D. दंड और पुरस्कार
उत्तर: A. व्यक्तिगत नैतिकता
- ‘अंकुशित अधिगम’ (Controlled Learning) किस सिद्धांत से संबंधित है?
A. निर्माणवाद
B. व्यवहारवाद
C. संज्ञानात्मक सिद्धांत
D. सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत
उत्तर: B. व्यवहारवाद
- बाल विकास की कौन सी विशेषता सही है?
A. यह सीधी रेखा में होता है
B. यह एक सतत प्रक्रिया है
C. यह केवल प्रारंभिक जीवन में होता है
D. सभी बच्चे एक ही गति से विकसित होते हैं
उत्तर: B. यह एक सतत प्रक्रिया है
- वाइगोत्स्की के अनुसार, किस क्रिया से बच्चे का बौद्धिक विकास होता है?
A. स्वतंत्र अन्वेषण
B. सहपाठियों के साथ सहयोग
C. औपचारिक शिक्षा
D. प्रत्यक्ष निर्देश
उत्तर: B. सहपाठियों के साथ सहयोग
- गर्दनर की बहु-बुद्धिमत्ता सिद्धांत में, निम्नलिखित में से कौन सी बुद्धिमत्ता का प्रकार नहीं है?
A. तर्कसंगत-मौखिक
B. शारीरिक-गतिशील
C. पारस्परिक
D. यांत्रिक
उत्तर: D. यांत्रिक
- जब बच्चे अपने सामाजिक और नैतिक निर्णय दूसरों की अपेक्षाओं के आधार पर करते हैं, तो यह किस नैतिक स्तर का हिस्सा होता है?
A. पूर्व-परंपरागत
B. परंपरागत
C. पश्च-परंपरागत
D. औपचारिक
उत्तर: B. परंपरागत
- पियाजे के संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत के अनुसार, जब बच्चे “कंक्रीट ऑपरेशनल स्टेज” में होते हैं, तो वे क्या सीखते हैं?
A. अमूर्त सोच
B. ठोस और तर्कसंगत सोच
C. केवल इंद्रियबोधात्मक अनुभव
D. रचनात्मकता का विकास
उत्तर: B. ठोस और तर्कसंगत सोच
- ‘समायोजन’ (Accommodation) की प्रक्रिया क्या होती है?
A. नई जानकारी को पुरानी स्कीमा में समायोजित करना
B. नई जानकारी के आधार पर पुरानी स्कीमा को बदलना
C. जानकारी को स्मृति में रखना
D. पुरानी जानकारी को पुनः प्राप्त करना
उत्तर: B. नई जानकारी के आधार पर पुरानी स्कीमा को बदलना
- बाल विकास का कौन सा सिद्धांत सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ को सबसे अधिक महत्व देता है?
A. पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत
B. वाइगोत्स्की का सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत
C. कोहल्बर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत
D. फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत
उत्तर: B. वाइगोत्स्की का सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत
- अधिगम में निरंतरता का अर्थ क्या है?
A. प्रत्येक अधिगम प्रक्रिया एकदम अलग होती है
B. अधिगम एक सतत प्रक्रिया है
C. सभी अधिगम स्थायी होते हैं
D. अधिगम सीमित होता है
उत्तर: B. अधिगम एक सतत प्रक्रिया है
- स्किनर का कौन सा सिद्धांत शिक्षा में प्रबल रूप से उपयोग किया जाता है?
A. आभासी अधिगम
B. ऑपरेटेंट कंडीशनिंग
C. प्रत्यक्ष अधिगम
D. सामाजिक अधिगम
उत्तर: B. ऑपरेटेंट कंडीशनिंग
- ‘स्वायत्तता बनाम लज्जा’ (Autonomy vs Shame) एरिक्सन के किस विकास चरण का हिस्सा है?
A. शैशवावस्था
B. प्रारंभिक बचपन
C. किशोरावस्था
D. वयस्कता
उत्तर: B. प्रारंभिक बचपन
- वाइगोत्स्की के अनुसार, किसी बच्चे का सर्वाधिक प्रभावी रूप से सीखने का समय वह होता है जब बच्चा कार्य करने में सक्षम होता है, लेकिन दूसरों की मदद से। इसे क्या कहते हैं?
A. निकट विकास क्षेत्र
B. स्वायत्त क्षेत्र
C. संज्ञानात्मक विकास क्षेत्र
D. प्रेरणा क्षेत्र
उत्तर: A. निकट विकास क्षेत्र
- शिक्षण में ‘प्रतिबिंबित क्रिया’ (Reflective Practice) का क्या उद्देश्य होता है?
A. शिक्षण की विधियों का पुनः आकलन करना
B. पुराने पाठों की पुनरावृत्ति
C. छात्रों के सीखने में रुकावट डालना
D. केवल व्याख्यान देना
उत्तर: A. शिक्षण की विधियों का पुनः आकलन करना
- एरिक्सन के सिद्धांत के अनुसार, किशोरावस्था में मुख्य चुनौती क्या होती है?
A. पहल बनाम अपराधबोध
B. पहचान बनाम भूमिका भ्रम
C. स्वायत्तता बनाम संदेह
D. उद्योग बनाम हीनता
उत्तर: B. पहचान बनाम भूमिका भ्रम
- गर्दनर के बहु-बुद्धिमत्ता सिद्धांत के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक बुद्धिमत्ता प्रकार है?
A. मौखिक-भाषाई
B. यांत्रिक
C. जीवित
D. वैचारिक
उत्तर: A. मौखिक-भाषाई
- बंदुरा के सामाजिक अधिगम सिद्धांत के अनुसार, सीखने में कौन सी प्रक्रिया महत्वपूर्ण होती है?
A. सुदृढीकरण
B. अनुकरण
C. संज्ञानात्मक असंतुलन
D. विस्मृति
उत्तर: B. अनुकरण
- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में ‘पूर्वाग्रह’ (Bias) से कैसे निपटा जा सकता है?
A. छात्रों के प्रदर्शन की तुलनात्मक समीक्षा द्वारा
B. शिक्षण के दौरान निरंतर मूल्यांकन द्वारा
C. सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों की उपेक्षा द्वारा
D. केवल छात्र प्रतिक्रिया पर निर्भरता द्वारा
उत्तर: B. शिक्षण के दौरान निरंतर मूल्यांकन द्वारा
- पियाजे के अनुसार, ‘संकल्पना’ (Conceptualization) की प्रक्रिया किसमें होती है?
A. पूर्व-संवेदात्मक अवस्था
B. मूर्त संचालन अवस्था
C. औपचारिक संचालन अवस्था
D. अमूर्त अवस्था
उत्तर: C. औपचारिक संचालन अवस्था
- किस सिद्धांत में सामाजिक बातचीत को अधिगम का मूल आधार माना जाता है?
A. व्यवहारवादी सिद्धांत
B. संज्ञानात्मक सिद्धांत
C. सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत
D. निर्माणवादी सिद्धांत
उत्तर: C. सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत
- ‘आत्म-प्रभावकारिता’ (Self-efficacy) का संबंध किससे है?
A. किसी कार्य में सफल होने की व्यक्ति की आंतरिक धारणा
B. दूसरों से अपेक्षाएँ
C. बाहरी पुरस्कार
D. अन्य व्यक्तियों की मान्यता
उत्तर: A. किसी कार्य में सफल होने की व्यक्ति की आंतरिक धारणा
- निम्नलिखित में से कौन सा सिद्धांत इस विचार का समर्थन करता है कि बच्चे अपने स्वयं के ज्ञान का निर्माण करते हैं?
A. व्यवहारवाद
B. निर्माणवाद
C. सामाजिक अधिगम
D. मानवतावादी सिद्धांत
उत्तर: B. निर्माणवाद
- बाल विकास में कौन सा कारक प्रभावशाली नहीं माना जाता है?
A. आनुवंशिकता
B. पर्यावरण
C. सामाजिक-आर्थिक स्थिति
D. मौसम
उत्तर: D. मौसम
- ‘सक्रिय अधिगम’ (Active Learning) का सबसे उपयुक्त उदाहरण कौन सा है?
A. शिक्षक का व्याख्यान
B. छात्रों का समूह चर्चा में भाग लेना
C. छात्रों का पाठ पढ़ना
D. परीक्षा देना
उत्तर: B. छात्रों का समूह चर्चा में भाग लेना
- किस सिद्धांत में यह कहा गया है कि बच्चे अनुकूलन और आत्मसात की प्रक्रियाओं द्वारा ज्ञान का निर्माण करते हैं?
A. पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत
B. स्किनर का व्यवहारवादी सिद्धांत
C. बंधुरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत
D. गार्डनर का बहु-बुद्धिमत्ता सिद्धांत
उत्तर: A. पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत
- ‘निकट विकास क्षेत्र’ (Zone of Proximal Development) किसने प्रस्तावित किया?
A. पियाजे
B. वाइगोत्स्की
C. कोहल्बर्ग
D. स्किनर
उत्तर: B. वाइगोत्स्की
- शिक्षण में पुनर्बलन (Reinforcement) का उपयोग किस सिद्धांत के अंतर्गत होता है?
A. संज्ञानात्मक सिद्धांत
B. निर्माणवाद
C. व्यवहारवाद
D. सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत
उत्तर: C. व्यवहारवाद
- बालक के विकास में निम्नलिखित में से कौन सबसे अधिक महत्वपूर्ण कारक है?
A. आनुवंशिकता
B. परिवार और सामाजिक परिवेश
C. स्कूल
D. अध्यापक
उत्तर: B. परिवार और सामाजिक परिवेश
- किस सिद्धांत के अनुसार बच्चे दूसरों के व्यवहार का अनुकरण करते हुए सीखते हैं?
A. स्किनर का ऑपरेटेंट कंडीशनिंग सिद्धांत
B. पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत
C. बंधुरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत
D. कोहल्बर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत
उत्तर: C. बंधुरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत
- किस अवस्था में बच्चे अमूर्त तर्क-वितर्क (abstract reasoning) करने की क्षमता प्राप्त करते हैं?
A. पूर्व-संवेदात्मक अवस्था
B. मूर्त संचालन अवस्था
C. औपचारिक संचालन अवस्था
D. संवेदी मोटर अवस्था
उत्तर: C. औपचारिक संचालन अवस्था
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एरिक्सन
एरिक एरिक्सन का सामाजिक विकास का सिद्धांत (Psychosocial Development Theory) आठ विभिन्न चरणों पर आधारित है, जो जीवन के प्रत्येक चरण में एक महत्वपूर्ण विकासात्मक संघर्ष को दर्शाता है। प्रत्येक चरण में व्यक्ति को एक मनोवैज्ञानिक संघर्ष का सामना करना पड़ता है, जिसका समाधान व्यक्ति के भविष्य के विकास और सामाजिक संबंधों पर प्रभाव डालता है। यह सिद्धांत बताता है कि मानव व्यक्तित्व जीवनभर बदलता और विकसित होता रहता है।
एरिक्सन के आठ मुख्य “बनाम” संघर्ष निम्नलिखित हैं:
- विश्वास बनाम अविश्वास (Trust vs. Mistrust)
उम्र: जन्म से 1 वर्ष
इस चरण में बच्चा सीखता है कि वह अपने देखभाल करने वालों पर भरोसा कर सकता है या नहीं। यह विश्वास आगे चलकर सामाजिक संबंधों का आधार बनता है।
- स्वायत्तता बनाम संदेह/लज्जा (Autonomy vs. Shame and Doubt)
उम्र: 1-3 वर्ष
इस चरण में बच्चा स्वतंत्रता और आत्म-नियंत्रण विकसित करता है। अगर बच्चा अपने कार्यों में सफल होता है, तो वह आत्मविश्वास विकसित करता है, अन्यथा संदेह और लज्जा महसूस करता है।
- पहल बनाम अपराधबोध (Initiative vs. Guilt)
उम्र: 3-6 वर्ष
इस चरण में बच्चा पहल करना और अपने निर्णय लेना सीखता है। अगर वह सफल होता है, तो उसे पहल करने का साहस मिलता है, अन्यथा अपराधबोध विकसित हो सकता है।
- उद्योग बनाम हीनता (Industry vs. Inferiority)
उम्र: 6-12 वर्ष
इस चरण में बच्चा कामकाज और अन्य गतिविधियों में सफलता प्राप्त करता है। सफलता से आत्म-सम्मान में वृद्धि होती है, जबकि असफलता से हीनता की भावना उत्पन्न हो सकती है।
- पहचान बनाम भूमिका भ्रम (Identity vs. Role Confusion)
उम्र: किशोरावस्था (12-18 वर्ष)
इस चरण में व्यक्ति अपनी पहचान और जीवन की दिशा की खोज करता है। सफल पहचान स्थापित होने पर व्यक्ति अपने जीवन में स्थिरता महसूस करता है, अन्यथा भूमिका भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- सन्निकटता बनाम एकाकीपन (Intimacy vs. Isolation)
उम्र: युवा वयस्कता (18-40 वर्ष)
इस चरण में व्यक्ति करीबी और प्रेमपूर्ण संबंध बनाने की कोशिश करता है। यदि सफल होता है, तो वह स्थायी संबंध विकसित करता है, अन्यथा एकाकीपन का अनुभव करता है।
- उत्पादकता बनाम ठहराव (Generativity vs. Stagnation)
उम्र: मध्य वयस्कता (40-65 वर्ष)
इस चरण में व्यक्ति अगली पीढ़ी के लिए योगदान देने पर ध्यान केंद्रित करता है। यदि वह सफल होता है, तो उसे संतोष और उत्पादकता का अनुभव होता है, अन्यथा ठहराव और निराशा का अनुभव हो सकता है।
- समग्रता बनाम निराशा (Integrity vs. Despair)
उम्र: वृद्धावस्था (65 वर्ष से आगे)
इस चरण में व्यक्ति अपने जीवन को पीछे मुड़कर देखता है। यदि व्यक्ति अपने जीवन से संतुष्ट होता है, तो वह समग्रता का अनुभव करता है, अन्यथा निराशा का सामना कर सकता है।
सिद्धांत का सार:
एरिक्सन का सामाजिक विकास का सिद्धांत यह दर्शाता है कि व्यक्ति का विकास जीवनभर चलता रहता है और प्रत्येक चरण में एक नया मनोवैज्ञानिक संघर्ष उत्पन्न होता है, जिसे व्यक्ति को हल करना होता है। यह संघर्ष व्यक्ति के मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि कोई संघर्ष सकारात्मक रूप से हल हो जाता है, तो व्यक्ति मजबूत और आत्मविश्वासी बनता है, अन्यथा उसे मानसिक और सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
जीन पियाजे
जीन पियाजे (Jean Piaget) का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत (Cognitive Development Theory) बच्चों के मानसिक विकास को चार मुख्य चरणों में विभाजित करता है। इन चार अवस्थाओं के दौरान, बच्चे अपनी सोचने की क्षमता का विकास करते हैं और दुनिया को समझने के तरीके में परिवर्तन करते हैं। प्रत्येक अवस्था का एक विशिष्ट समय और विशेषताएँ होती हैं।
पियाजे की चार मुख्य संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएँ और उनके प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
- संवेदी-मोटर अवस्था (Sensorimotor Stage)
उम्र: जन्म से 2 वर्ष तक
मुख्य विशेषताएँ:
बच्चा दुनिया को इंद्रियों (स्पर्श, दृष्टि, श्रवण, स्वाद) और शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से समझने की कोशिश करता है।
इस अवस्था में शिशु अपने आस-पास की चीजों पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालने की क्षमता को पहचानता है।
स्थायीत्व की अवधारणा (Object Permanence) का विकास होता है, जहाँ बच्चा यह समझने लगता है कि वस्तुएं तब भी अस्तित्व में रहती हैं, जब वे दिखाई नहीं देतीं।
बच्चे की क्रियाएँ आकस्मिक होती हैं, जैसे कोई वस्तु गिराना और उसका परिणाम देखना।
- पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था (Preoperational Stage)
उम्र: 2 से 7 वर्ष तक
मुख्य विशेषताएँ:
बच्चे कल्पनाशील खेल (pretend play) में संलग्न होते हैं और प्रतीकात्मक सोच (Symbolic Thinking) का विकास होता है, जैसे कि एक वस्तु को दूसरे के रूप में इस्तेमाल करना।
स्वकेंद्रित दृष्टिकोण (Egocentrism): इस अवस्था में बच्चे केवल अपनी दृष्टि से दुनिया को देखते हैं और दूसरों के दृष्टिकोण को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं।
बच्चा अभी तार्किक रूप से नहीं सोच पाता है और समस्याओं को हल करने के लिए तर्क का उपयोग नहीं कर सकता है।
संरक्षण (Conservation) की समझ का अभाव: बच्चे यह नहीं समझ पाते कि किसी वस्तु का रूप बदलने पर भी उसकी मात्रा एक जैसी रहती है, जैसे पानी को एक छोटे से बड़े गिलास में डालने पर वे मान सकते हैं कि पानी की मात्रा बढ़ गई है।
- ठोस संक्रियात्मक अवस्था (Concrete Operational Stage)
उम्र: 7 से 11 वर्ष तक
मुख्य विशेषताएँ:
इस अवस्था में बच्चे तर्कसंगत और ठोस सोच (Logical and Concrete Thinking) विकसित करते हैं। वे अब वास्तविक और ठोस वस्तुओं के साथ समस्याओं को हल कर सकते हैं।
बच्चे अब संरक्षण (Conservation) की अवधारणा को समझने लगते हैं। वे जानने लगते हैं कि मात्रा, संख्या और वजन जैसी विशेषताएँ एक जैसी रहती हैं, भले ही उनके रूप में परिवर्तन हो।
बच्चा वर्गीकरण (Classification) और श्रृंखलाबद्धता (Seriation) को समझ सकता है, जिससे वे वस्तुओं को आकार, रंग, और अन्य विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत कर सकते हैं।
बच्चों में अब सहानुभूति (Empathy) विकसित होती है और वे दूसरों के दृष्टिकोण को समझ सकते हैं, अर्थात वे स्वकेंद्रित दृष्टिकोण से बाहर निकल आते हैं।
- औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (Formal Operational Stage)
उम्र: 12 वर्ष से आगे (किशोरावस्था से वयस्कता तक)
मुख्य विशेषताएँ:
बच्चे और किशोर अब अमूर्त सोच (Abstract Thinking) और सैद्धांतिक तर्क (Hypothetical Reasoning) में सक्षम हो जाते हैं। वे अमूर्त विचारों, प्रतीकों, और भविष्य की संभावनाओं पर विचार कर सकते हैं।
वे अब सैद्धांतिक समस्याओं (Hypothetical Problems) पर काम कर सकते हैं और “क्या होगा यदि” (What If) जैसे प्रश्नों पर सोच सकते हैं।
बच्चे अब अधिक जटिल तार्किक विचार (Logical Thought) और समस्याओं का हल निकाल सकते हैं, और विभिन्न संभावनाओं पर विचार कर सकते हैं।
इस अवस्था में बच्चे नैतिक तर्क (Moral Reasoning) और आदर्शवाद (Idealism) का विकास करते हैं।
सारांश:
संवेदी-मोटर अवस्था (Sensorimotor Stage): इंद्रियों और शारीरिक गतिविधियों से दुनिया की समझ।
पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था (Preoperational Stage): प्रतीकात्मक सोच, स्वकेंद्रित दृष्टिकोण।
ठोस संक्रियात्मक अवस्था (Concrete Operational Stage): ठोस और तर्कसंगत सोच, संरक्षण की समझ।
औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (Formal Operational Stage): अमूर्त और सैद्धांतिक सोच, भविष्य की संभावनाओं पर विचार।
पियाजे के अनुसार, बच्चे अपने अनुभवों और सीखने की प्रक्रिया के माध्यम से इन चार अवस्थाओं के माध्यम से क्रमिक रूप से आगे बढ़ते हैं, जिससे उनका संज्ञानात्मक विकास होता है।
वाइगोत्स्की
- सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ
- निकटतम विकास क्षेत्र (ZPD)
- सांस्कृतिक उपकरण
- सहयोगी अधिगम
- भाषा और संज्ञान
- वयस्क मार्गदर्शन
- आंतरिक संवाद
- निजी भाषण
- सह-निर्माण
- सामाजिक संपर्क
हावर्ड गार्डनर
हावर्ड गार्डनर का बाहु-बुद्धिमत्ता सिद्धांत (Multiple Intelligences Theory) यह सुझाव देता है कि बुद्धिमत्ता एक अद्वितीय और विविधता से भरी अवधारणा है, जिसमें एक व्यक्ति की क्षमता को विभिन्न प्रकार की बुद्धिमत्ताओं के माध्यम से परिभाषित किया जा सकता है। गार्डनर के अनुसार, पारंपरिक IQ परीक्षण केवल एक प्रकार की बुद्धिमत्ता को मापते हैं, जबकि वास्तविक जीवन में लोग विभिन्न क्षेत्रों में विविध क्षमताओं के साथ विकसित होते हैं।
गार्डनर ने निम्नलिखित आठ बुद्धिमत्ताएँ (Multiple Intelligences) प्रस्तावित की हैं:
- भाषाई बुद्धिमत्ता (Linguistic Intelligence)
शब्दों और भाषाओं का उपयोग करने की क्षमता, जिसमें लेखन, पढ़ाई, और मौखिक संचार शामिल है।
- गणितीय-तार्किक बुद्धिमत्ता (Logical-Mathematical Intelligence)
तर्क, संख्याओं, और समस्या समाधान की क्षमता, जैसे गणित और विज्ञान में विशेषज्ञता।
- Spatial Intelligence (स्पैटियल बुद्धिमत्ता)
दृश्य-संगठन, चित्रण, और स्थानिक धारणा की क्षमता, जिसमें कला, चित्रण, और वास्तुकला शामिल है।
- शारीरिक-किनेस्थेटिक बुद्धिमत्ता (Bodily-Kinesthetic Intelligence)
शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से अभिव्यक्ति और क्रियान्वयन की क्षमता, जैसे कि खेल, नृत्य, और शिल्प।
- संगीत बुद्धिमत्ता (Musical Intelligence)
संगीत, रिदम, और धुन को समझने और व्यक्त करने की क्षमता, जैसे कि गाना, वाद्य यंत्र बजाना।
- सामाजिक बुद्धिमत्ता (Interpersonal Intelligence)
दूसरों के साथ संवाद और सहयोग करने की क्षमता, जिसमें सामाजिक कौशल और नेतृत्व शामिल हैं।
- आंतरिक बुद्धिमत्ता (Intrapersonal Intelligence)
अपनी भावनाओं, सोचों और अंतर्दृष्टियों की समझ और आत्म-विश्लेषण की क्षमता।
- प्राकृतिक बुद्धिमत्ता (Naturalistic Intelligence)
प्राकृतिक वातावरण को समझने और पहचानने की क्षमता, जैसे कि पौधों, जानवरों, और पारिस्थितिकी का ज्ञान।
सारांश:
गार्डनर का सिद्धांत यह दर्शाता है कि बुद्धिमत्ता केवल एक ही प्रकार की नहीं होती, बल्कि यह विभिन्न प्रकारों में प्रकट होती है, जो व्यक्तिगत क्षमताओं और रुचियों के अनुसार भिन्न होती है। यह दृष्टिकोण शिक्षा में विविधता को प्रोत्साहित करता है, ताकि सभी प्रकार की बुद्धिमत्ताओं को मान्यता और समर्थन मिल सके।
बंदूरा
- प्रत्यक्ष अनुभव
- अनुकरण (Modeling)
- सामाजिक-सीखने का सिद्धांत
- आत्म-प्रभावकारिता
- पर्यावरणीय प्रभाव
- व्यवहार परिवर्तन
- अवलोकन सीखना
- प्रेरणा और पुरस्कार
- सामाजिक संबंध
- मानक और मूल्यों
कोहलबर्ग
लॉरेंस कोहलबर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत (Theory of Moral Development) यह बताता है कि लोग नैतिकता के निर्णय और उनके आधार पर कार्य करने के तरीके को कैसे विकसित करते हैं। कोहलबर्ग ने नैतिक विकास को तीन मुख्य स्तरों में विभाजित किया, जिनमें प्रत्येक स्तर में दो अवस्थाएँ होती हैं।
कोहलबर्ग के नैतिक विकास के स्तर:
- पूर्व-परंपरागत स्तर (Pre-conventional Level)
पहली अवस्था: अन्याय से बचना (Obedience and Punishment Orientation)
दूसरी अवस्था: स्वार्थी लाभ (Self-Interest Orientation)
- परंपरागत स्तर (Conventional Level)
तीसरी अवस्था: समुचित व्यवहार (Interpersonal Accord and Conformity)
चौथी अवस्था: कानूनी और सामाजिक व्यवस्था (Authority and Social Order Maintaining Orientation)
- पर-परंपरागत स्तर (Post-conventional Level)
पांचवी अवस्था: सामाजिक अनुबंध (Social Contract Orientation)
छठी अवस्था: सार्वभौमिक नैतिकता (Universal Ethical Principles)
सिद्धांत का सारांश:
कोहलबर्ग का सिद्धांत यह बताता है कि नैतिकता का विकास एक क्रमबद्ध प्रक्रिया है, जो अनुभवों और सोचने के तरीकों के आधार पर विकसित होती है। यह सिद्धांत नैतिक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को समझने में सहायक है।
Key Points:
- नैतिक विकास
- स्तर और अवस्थाएँ
- सामाजिक अनुबंध
- नैतिक निर्णय
- स्वतंत्रता और अधिकार
- अनुकरण और प्रभाव
- सामाजिक व्यवस्था
- व्यक्तिगत मूल्य
- परंपरागत नैतिकता
- सार्वभौमिक सिद्धांत