शिक्षण

शिक्षण का अर्थ

( Meaning Of Teaching)

शिक्षण एक द्विमर्गीय प्रक्रिया है जिसके द्वारा विचारों का आदान-प्रदान होता है । शिक्षण का अर्थ है पढ़ाना ,शिक्षा देना या ज्ञान देना । यह शिक्षक तथा शिक्षार्थी की उपस्थिति में संपन्न होने वाली अंत: क्रिया है और इस अंत:क्रिया का माध्यम पाठ्यवस्तु होती है । इस प्रक्रिया में शिक्षक शिक्षार्थी को निर्धारित विषयों में पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हेतु ज्ञान एवं कुशलता प्रदान करता है । शिक्षक एवं शिक्षार्थी की सफलता का मूल्यांकन इस तथ्य पर निर्भर करता है कि पाठ्यवस्तु के बारे में शिक्षक द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने में शिक्षार्थी कितने योग्य हैं । शिक्षण शास्त्र शिक्षण के अध्ययन की कला है ।

शिक्षण कार्य वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक शिक्षक अपने छात्रों को ज्ञान एवं कुशल प्रदान करता है। ज्ञान एवं कौशल को प्रवाहित करने वाली कार्य प्रक्रिया एवं कला को शिक्षण कहते हैं ।शिक्षण का मुख्य उद्देश्य शिक्षार्थी को सिखाना और स्वयं से भी सीखने के लिए प्रेरित करना होता है। इससे शिक्षण व्यवस्था, प्रक्रिया, पद्धति, पाठ्यक्रम, और पाठ्यवस्तु में सुधार होता है, और नीतियों में बदलाव करने में मदद मिलती है।

संकुचित अर्थ में, शिक्षण सिर्फ स्कूल या संस्थानों में होने वाली अध्यापन प्रक्रिया को सूचित करता है, जिसमें शिक्षक निश्चित स्थान और वातावरण में निश्चित पाठ्यक्रम के अनुसार छात्रों को ज्ञान या परामर्श प्रदान करता है। यह शिक्षा संबंधित संस्थानों तक ही सीमित होता है।

व्यापक अर्थ में, शिक्षण समस्त जीवन के क्षेत्रों को समाहित करता है, जिसमें व्यक्ति अपने पूरे जीवन में हर प्रकार की सीख और अनुभव प्राप्त करता है। यह शिक्षा विभिन्न स्रोतों से हो सकती है, जैसे कि सामाजिक परिवार, सामाजिक यात्रा, और सांस्कृतिक प्रभावों के माध्यम से। इसमें शिक्षार्थी की रुचियों और अभिरुचियों का ख्याल रखा जाता है और शिक्षा उनके व्यक्तिगत विकास को पूरी तरह से समर्थन करती है।

शिक्षण की परिभाषाएँ (Definitions of Teaching)

1. एचoसीo मॉरिसन के अनुसार, “शिक्षण वह प्रक्रिया है जिसमें अधिक विकसित व्यक्तित्व कम विकसित व्यक्तित्व के संपर्क में आता है और कम विकसित व्यक्तित्व के अग्रिम शिक्षा के लिए विकसित व्यक्तित्व की व्यवस्था करता है”.

2. बी० एफ० स्किनर के अनुसार, “शिक्षण पुनर्वलन की आकस्मिकताओं का क्रम है।

“3. बर्टन के अनुसार, “शिक्षण सीखने के लिए दी जाने वाली प्रेरणा, निदेशन, निर्देशन एवं प्रोत्साहन है।”

शिक्षण की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं

  • 1. एक द्वि-मार्गीय अंतःक्रिया की प्रक्रिया है.
  • 2. यह अध्यापन की कला है.
  • 3. ज्ञान और कौशल को प्रवाहित करने वाली प्रक्रिया है.
  • 4. इसमें तीन केंद्र बिंदु होते हैं: शिक्षक, बालक और पाठ्यवस्तु. शिक्षण इन तीनों में स्थापित किए जाने वाला संबंध है.
  • 5. यह वांछनीय जानकारी प्रदान करता है.
  • 6. यह सीखने के लिए आत्म-प्रेरणा बनाता है.
  • 7. छात्र अच्छे शिक्षण में सक्रिय रहते हैं.
  • 8. यह चयनित जानकारी पर केंद्रित है.
  • 9. शिक्षण उद्देश्य पूर्ण प्रक्रिया है जिस उद्देश्य और लक्षण की पूर्ति की जा सकती है.
  • 10. शिक्षण अधिगम का माध्यम होता है जिस विद्यार्थी की आवश्यकता अनुसार प्रदान किया जाता है ।

शिक्षण के कुछ सामान्य सिद्धांत

प्रेरणा का सिद्धांत

निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत

नियोजन का सिद्धांत

चुनाव एवं वैयक्तिक भिन्नता का सिद्धांत

छात्रों को ज्ञान प्राप्त करने में मदद करना

छात्रों में जिज्ञासा, ज्ञान और सीखने के प्रति प्रेरित करना ।

शिक्षण के उल्लिखित सिद्धांतों को विस्तार से समझा जा सकता है:

1. प्रेरणा का सिद्धांत:

इसका मतलब है कि शिक्षा को देने वाले को छात्रों को प्रेरित करना चाहिए, ताकि उनमें सकारात्मक उत्साह और सीधी होने की भावना बनी रहे.

2. निश्चित उद्देश्य का सिद्धांत:

यह कहता है कि शिक्षा का स्पष्ट उद्देश्य होना चाहिए, जिससे छात्रों को सही दिशा में गाइड किया जा सके.

3. नियोजन का सिद्धांत:

इसका मतलब है कि शिक्षा की योजना बनाते समय छात्रों की आवश्यकताओं और क्षमताओं को ध्यान में रखना चाहिए.

4. चुनाव एवं वैयक्तिक भिन्नता का सिद्धांत:

यह बताता है कि शिक्षा में छात्रों को उनकी पसंद और विचारों का सम्मान करना चाहिए, ताकि वे अपनी विशेषता में विकसित हो सकें.

5. छात्रों को ज्ञान प्राप्त करने में मदद करना:

इसका मतलब है कि शिक्षकों को छात्रों को सही तरीके से पढ़ाने और समझाने में मदद करना चाहिए.

6. छात्रों में जिज्ञासा, ज्ञान और सीखने के लिए प्रेरित करना :

इसका अर्थ है कि शिक्षा को रूचिकर और आत्मनिर्भर बनाने के लिए छात्रों में जिज्ञासा और सीखने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देना चाहिए.

शिक्षण की आवश्यकता

  • 1. शिक्षण से छात्रों का ज्ञान, भावनाएं, और क्रियात्मक पक्ष विकसित होते हैं, जो उन्हें समृद्धि में सहायक होते हैं।
  • 2. छात्रों को शिक्षण के माध्यम से पढ़ाई में उत्सुकता और उत्साह मिलता है, जिससे उनकी शिक्षा प्रक्रिया में सहजता होती है।
  • 3. शिक्षण छात्रों के भावी जीवन में सफलता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान करता है, उन्हें सार्थक और सफल नागरिक बनाने में सहायक होता है।
  • 4. शिक्षण के माध्यम से छात्रों को ज्ञान प्राप्त होता है, जिससे उनका व्यक्तिगत और सामाजिक विकास होता है।
  • 5. शिक्षण वातावरण से अनुकूलन करने और सामंजस्य स्थापित करने में सहायता करता है, जिससे छात्र सकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं।
  • 6. शिक्षण व्यवहार में परिवर्तन करने का माध्यम है और छात्रों के व्यक्तिगत और सामाजिक आदर्शों को बदल सकता है।
  • 7. शिक्षण से छात्रों को उचित सूचना प्राप्त होती है, जो उनकी जागरूकता बढ़ाती है और सही निर्णय लेने में मदद करती है।
  • 8. शिक्षण से विभिन्न क्षमताएं विकसित होती हैं और छात्रों को समृद्धि की दिशा में बढ़ने के लिए तैयार करता है।
  • 9. शिक्षण छात्रों को जीवन के अनुभवों से अवगत कराता है और उन्हें उच्चतम मानकों तक पहुंचाने में सहायक होता है।
  • 10. शिक्षण से बालकों में नागरिकता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है, जो एक समृद्धि योजना के लिए महत्वपूर्ण है।
  • 11. शिक्षण के माध्यम से छात्रों में सृजनात्मक शक्ति विकसित होती है, जिससे वे नवीन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं।
  • 12. शिक्षण से छात्रों को अनुबंध, प्रशिक्षण, अनुदेशन और प्रतिपादन करने की क्षमता प्राप्त होती है, जो उन्हें सकारात्मक रूप से समृद्धि की दिशा में बढ़ने के लिए सक्षम बनाता है।
  • 13. शिक्षण के माध्यम से छात्रों में क्रियाशीलता, संगठन और व्यावहारिक गुणों का विकास होता है, जो उन्हें समृद्धि और समाज में सहायक बनाता है।

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