educational technology previous year question paper 2023

educational technology previous year question paper 2023

खण्ड अ

educational technology previous year question paper 2023:

प्रश्न 1. मृदु शिल्प उपागम को परिभाषित कीजिए।


मृदु शिल्प उपागम (Software Approach) शैक्षिक तकनीकी का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए सॉफ्टवेयर, पाठ्य सामग्री, मल्टीमीडिया संसाधनों और शैक्षिक एप्लिकेशनों के उपयोग पर केंद्रित है। इस उपागम में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सरल, आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए डिजिटल उपकरणों और प्रोग्रामों का उपयोग किया जाता है। यह शिक्षकों और छात्रों के लिए सुलभ और लचीले शिक्षण विकल्प प्रदान करता है, जिससे वे कहीं भी और कभी भी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। मृदु शिल्प उपागम में इ-लर्निंग प्लेटफार्म, वर्चुअल क्लासरूम, ऑनलाइन टेस्टिंग और मूल्यांकन प्रणाली, और विभिन्न शैक्षिक सॉफ्टवेयर शामिल हैं।

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प्रश्न 2. शैक्षिक तकनीकी की आवश्यकता और महत्त्व की पुष्टि कीजिए।


शैक्षिक तकनीकी (Educational Technology) की आवश्यकता और महत्त्व आधुनिक शिक्षा प्रणाली में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह शिक्षण और अधिगम प्रक्रियाओं को अधिक प्रभावी, कुशल और सुलभ बनाता है। शैक्षिक तकनीकी के माध्यम से शिक्षा को अधिक व्यक्तिगत, आकर्षक और सहयोगात्मक बनाया जा सकता है। यह शिक्षकों को नवीनतम उपकरणों और संसाधनों के उपयोग से बेहतर शिक्षण सामग्री तैयार करने में मदद करता है, जिससे छात्रों का ध्यान और रूचि बनी रहती है। इसके अलावा, यह छात्रों को स्वयं सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनने में सक्षम बनाता है, जिससे उनकी सोचने और समझने की क्षमता में वृद्धि होती है।

प्रश्न 3. “शैक्षिक तकनीकी शिक्षक का स्थान ले लेगी” कथन पर चर्चा कीजिए।


“शैक्षिक तकनीकी शिक्षक का स्थान ले लेगी” यह कथन पूरी तरह से सत्य नहीं है। हालांकि शैक्षिक तकनीकी शिक्षण और अधिगम प्रक्रिया को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन शिक्षक का स्थान नहीं ले सकती। शिक्षक न केवल ज्ञान प्रदान करते हैं बल्कि नैतिक, सामाजिक और भावनात्मक समर्थन भी देते हैं, जो किसी भी तकनीकी उपकरण द्वारा नहीं दिया जा सकता। तकनीकी केवल एक उपकरण है जो शिक्षकों को उनके शिक्षण में सहायता प्रदान करता है, परंतु शिक्षक का व्यक्तिगत संपर्क, मार्गदर्शन और प्रेरणा छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए अनिवार्य है।

प्रश्न 4. OHP हेतु ट्रान्सपेरेन्सी निर्मित करते समय आप किन सावधानियों को ध्यान में रखेंगे? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।


OHP (Overhead Projector) हेतु ट्रान्सपेरेन्सी निर्मित करते समय कई सावधानियों का ध्यान रखना आवश्यक है। सबसे पहले, सामग्री स्पष्ट और संक्षिप्त होनी चाहिए ताकि दर्शक आसानी से पढ़ सकें। टेक्स्ट का फॉन्ट साइज बड़ा होना चाहिए और रंग संयोजन स्पष्ट होना चाहिए ताकि पृष्ठभूमि और टेक्स्ट में स्पष्ट अंतर हो। उदाहरण के लिए, गहरे रंग की पृष्ठभूमि पर हल्के रंग का टेक्स्ट उपयोग करें। इसके अलावा, महत्वपूर्ण बिंदुओं को हाइलाइट करें और अनावश्यक जानकारी को छोड़ दें। चित्र और ग्राफिक्स का उपयोग करते समय, उन्हें स्पष्ट और प्रासंगिक बनाएं ताकि वे जानकारी को बेहतर ढंग से संप्रेषित कर सकें।

प्रश्न 5. चार्ट के अवगुणों की व्याख्या कीजिए।


चार्ट के अवगुणों में प्रमुख रूप से उसकी स्थिरता और अद्यतनीयता की कमी शामिल है। एक बार चार्ट बना लेने के बाद, उसमें कोई भी बदलाव या अपडेट करना कठिन होता है। इसके अलावा, चार्ट को लंबे समय तक संभाल कर रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। चार्ट्स का उपयोग करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वे सभी दर्शकों के लिए समान रूप से सुलभ और पठनीय नहीं होते, विशेष रूप से बड़ी कक्षाओं में। चार्ट्स के निर्माण में समय और संसाधनों की भी आवश्यकता होती है, जो सभी शिक्षकों के लिए संभव नहीं हो सकता।

प्रश्न 6. एपीडायस्कोप की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।


एपीडायस्कोप एक ऐसा उपकरण है जो अपारदर्शी चित्रों, पुस्तकों, और अन्य सामग्री को प्रक्षिप्त करके प्रदर्शित करता है। इसकी प्रमुख विशेषता है कि यह किसी भी प्रकार की अपारदर्शी सामग्री को बड़ी स्क्रीन पर स्पष्ट रूप से दिखा सकता है। यह शिक्षकों को किसी भी मुद्रित या लिखित सामग्री को सीधे प्रदर्शित करने में मदद करता है। एपीडायस्कोप का उपयोग शैक्षिक प्रस्तुतियों, कला कक्षाओं, और अन्य शैक्षिक गतिविधियों में किया जाता है। इसका उपयोग सरल है और यह शिक्षकों को बिना किसी पूर्व तैयारी के भी सामग्री को प्रदर्शित करने में सक्षम बनाता है।

प्रश्न 7. शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में आप मुद्रित सामग्री का उपयोग किस प्रकार करेंगे? उपयुक्त उदाहरणों द्वारा व्याख्या कीजिए।


मुद्रित सामग्री शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण साधन है। इसका उपयोग पाठ्यपुस्तकों, नोट्स, कार्यपत्रक, और अन्य संदर्भ सामग्री के रूप में किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक विज्ञान कक्षा में, शिक्षक पाठ्यपुस्तक के अध्यायों का उपयोग कर सकते हैं और संबंधित कार्यपत्रक प्रदान कर सकते हैं ताकि छात्र अवधारणाओं को समझ सकें और अभ्यास कर सकें। मुद्रित सामग्री छात्रों को स्वतंत्र रूप से अध्ययन करने, नोट्स बनाने और परीक्षा की तैयारी में मदद करती है। यह सामग्री छात्रों को एक स्थायी संदर्भ देती है जिससे वे किसी भी समय पुनः अध्ययन कर सकते हैं।

प्रश्न 8. रेखीय अधिक्रमित अधिगम सामग्री के अधिनियमों की व्याख्या कीजिए।


रेखीय अधिक्रमित अधिगम सामग्री (Linear Programming Learning Material) एक शिक्षण पद्धति है जिसमें शिक्षण सामग्री को छोटे-छोटे अनुक्रमों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक अनुक्रम को एक निश्चित क्रम में प्रस्तुत किया जाता है और छात्रों को अगले अनुक्रम पर तभी जाने की अनुमति होती है जब वे वर्तमान अनुक्रम को सफलतापूर्वक पूरा कर लेते हैं। इस पद्धति का मुख्य उद्देश्य छात्रों को व्यवस्थित और क्रमिक रूप से जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे प्रत्येक अवधारणा को गहराई से समझ सकें। यह पद्धति छात्रों के आत्मनिर्भर अधिगम को बढ़ावा देती है और उनकी प्रगति की निरंतर निगरानी सुनिश्चित करती है।

प्रश्न 9. ओ. ई. आर. के महत्त्व का वर्णन कीजिए।


ओ. ई. आर. (Open Educational Resources) शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। ये संसाधन निःशुल्क और सुलभ होते हैं, जिससे शिक्षा को अधिक समावेशी और लोकतांत्रिक बनाया जा सकता है। ओ. ई. आर. का उपयोग शिक्षकों को अपनी पाठ्य सामग्री को समृद्ध बनाने, छात्रों को अतिरिक्त अध्ययन सामग्री प्रदान करने और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा, ओ. ई. आर. वैश्विक ज्ञान समुदाय को सहयोगात्मक रूप से सीखने और साझा करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे शिक्षा की पहुंच और प्रभाव में वृद्धि होती है।

प्रश्न 10. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आप प्रमाप का उपयोग किस प्रकार करेंगे? व्याख्या कीजिए।


शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में प्रमाप (Module) का उपयोग शिक्षण सामग्री को व्यवस्थित और संरचित रूप में प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है। प्रमाप एक स्वायत्त इकाई होती है जो एक विशेष विषय या अवधारणा को गहराई से कवर करती है। इसका उपयोग छात्रों को स्वतंत्र रूप से अध्ययन करने, स्व-परीक्षण करने और आत्ममूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, गणित के किसी प्रमाप में विभिन्न अध्यायों के साथ-साथ अभ्यास प्रश्न, परीक्षण और समाधान शामिल हो सकते हैं। प्रमाप छात्रों को अपने गति से सीखने की सुविधा प्रदान करता है और शिक्षकों को व्यक्तिगत शिक्षण रणनीतियों को अपनाने में मदद करता है।

प्रश्न 11. अनुदेशनात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति में अनुदेशन आव्यूह किस प्रकार से महायक है? पुष्टि कीजिए।


अनुदेशन आव्यूह (Instructional Strategy) अनुदेशनात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक संरचित और सुव्यवस्थित पद्धति है जो शिक्षण प्रक्रियाओं को प्रभावी बनाती है। अनुदेशन आव्यूह शिक्षकों को स्पष्ट उद्देश्यों के साथ शिक्षण सामग्री और गतिविधियों को डिज़ाइन करने में मदद करता है, जिससे छात्रों की सीखने की प्रक्रिया अधिक केंद्रित और उद्देश्यपूर्ण होती है। यह रणनीति विभिन्न शिक्षण विधियों, जैसे व्याख्यान, चर्चा, प्रायोगिक गतिविधियाँ और समूह कार्य को शामिल कर सकती है, जिससे छात्रों की समझ और अधिगम में सुधार होता है। अनुदेशन आव्यूह छात्रों को सक्रिय और संलग्न बनाकर उनके अधिगम परिणामों को बढ़ावा देता है।

प्रश्न 12. प्रणाली उपागम की संकल्पना को स्पष्ट कीजिए।


प्रणाली उपागम (System Approach )

की संकल्पना एक समग्र दृष्टिकोण है जो विभिन्न घटकों को एकीकृत और समन्वित करके एक संपूर्ण प्रणाली के रूप में कार्य करता है। इसमें शिक्षण और अधिगम प्रक्रियाओं को एक संगठित और प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाता है। प्रणाली उपागम में प्रत्येक घटक का एक विशिष्ट कार्य और उद्देश्य होता है, जो कुल मिलाकर प्रणाली की प्रभावशीलता को बढ़ाता है। इसमें फीडबैक, मूल्यांकन, और सुधारात्मक कदमों का समावेश होता है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में निरंतर सुधार होता है। इस दृष्टिकोण का उपयोग शिक्षा में इसलिए किया जाता है क्योंकि यह समस्याओं का समाधान करने और लक्ष्यों की प्राप्ति में अधिक प्रभावी होता है।

प्रश्न 13. शिक्षा में प्रणाली उपागम क्यों आवश्यक है? व्याख्या कीजिए।


शिक्षा में प्रणाली उपागम इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह एक सुव्यवस्थित और व्यवस्थित दृष्टिकोण प्रदान करता है जो शिक्षण और अधिगम को अधिक प्रभावी बनाता है। प्रणाली उपागम सभी घटकों और प्रक्रियाओं को एकीकृत करके उन्हें एक समग्र इकाई के रूप में कार्य करता है। यह छात्रों की जरूरतों और लक्ष्यों के आधार पर शिक्षण विधियों और सामग्री को डिजाइन करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह फीडबैक और सुधारात्मक कार्रवाइयों के माध्यम से शिक्षण की गुणवत्ता को बनाए रखने और सुधारने में मदद करता है। प्रणाली उपागम शिक्षा में समस्याओं की पहचान करने और उनका समाधान करने में अधिक सक्षम बनाता है, जिससे शिक्षा की समग्र प्रभावशीलता में वृद्धि होती है।

प्रश्न 14. प्रणाली उपागम में प्रतिपुष्टि के महत्व का वर्णन कीजिए।


प्रणाली उपागम में प्रतिपुष्टि (फीडबैक) का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रतिपुष्टि शिक्षण प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में सुधार और समायोजन के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करती है। यह शिक्षकों और छात्रों दोनों को उनकी प्रगति और प्रदर्शन के बारे में जागरूक बनाती है। प्रतिपुष्टि के माध्यम से शिक्षकों को यह पता चलता है कि छात्रों ने क्या सीखा है और किन क्षेत्रों में उन्हें और सुधार की आवश्यकता है। यह छात्रों को भी अपने अधिगम की स्वयं मूल्यांकन करने और सुधारात्मक कदम उठाने में मदद करती है। प्रतिपुष्टि प्रणाली की समग्र कार्यक्षमता और प्रभावशीलता को बनाए रखने और सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

खण्ड ब

प्रश्न 1. कठोर शिल्प उपागम, मृदु शिल्प उपागम और प्रणाली उपागम में विभेद कीजिए।


कठोर शिल्प उपागम (Hardware Approach), मृदु शिल्प उपागम (Software Approach), और प्रणाली उपागम (System Approach) तीनों शैक्षिक तकनीकी के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं, लेकिन इनका दृष्टिकोण और उपयोग भिन्न-भिन्न होता है।

  1. कठोर शिल्प उपागम (Hardware Approach):
    कठोर शिल्प उपागम भौतिक उपकरणों और तकनीकी साधनों के उपयोग पर आधारित है। इसमें ऑडियो-विजुअल उपकरण, कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, और अन्य तकनीकी उपकरण शामिल होते हैं जो शिक्षण प्रक्रिया को अधिक आकर्षक और प्रभावी बनाते हैं। यह उपागम शिक्षा को अधिक इंटरैक्टिव और दृश्यात्मक बनाने में मदद करता है, लेकिन इसका उपयोग सीमित हो सकता है यदि उपयुक्त सामग्री और प्रशिक्षित शिक्षकों का अभाव हो।
  2. मृदु शिल्प उपागम (Software Approach):
    मृदु शिल्प उपागम शैक्षिक सॉफ्टवेयर और डिजिटल संसाधनों के उपयोग पर केंद्रित है। इसमें ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म, शैक्षिक ऐप्स, मल्टीमीडिया सामग्री, और ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग शामिल है। यह उपागम शिक्षण और अधिगम को अधिक सुलभ और व्यक्तिगत बनाता है, जिससे छात्रों को कहीं भी और कभी भी सीखने की सुविधा मिलती है। यह शिक्षकों को अधिक लचीले तरीके से शिक्षण सामग्री प्रदान करने में मदद करता है।
  3. प्रणाली उपागम (System Approach):
    प्रणाली उपागम एक समग्र दृष्टिकोण है जो शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के सभी घटकों को एकीकृत और समन्वित करता है। इसमें शिक्षण उद्देश्यों, सामग्री, शिक्षण विधियों, मूल्यांकन, और फीडबैक शामिल होते हैं। यह उपागम शिक्षा को एक संगठित और सुव्यवस्थित प्रणाली के रूप में देखता है, जिसमें प्रत्येक घटक की एक विशिष्ट भूमिका और उद्देश्य होता है। प्रणाली उपागम शिक्षा की गुणवत्ता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए निरंतर सुधार और समायोजन पर बल देता है।

प्रश्न 2. अपने विद्यालय विषय के किसी प्रकरण पर आधारित एक ऑडियो स्क्रिप्ट निर्मित कीजिए।

विषय: विज्ञान – जल का चक्र (Water Cycle)

ऑडियो स्क्रिप्ट:

[इंट्रो म्यूजिक बजता है]

वक्ता: नमस्कार छात्रों, आज हम विज्ञान के एक महत्वपूर्ण प्रकरण “जल का चक्र” के बारे में जानेंगे। जल का चक्र पृथ्वी पर पानी के निरंतर आंदोलन और परिवर्तन की प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया हमें समझने में मदद करती है कि पानी कैसे वाष्पित होकर बादल बनाता है और फिर बारिश के रूप में वापस पृथ्वी पर गिरता है।

[ध्वनि प्रभाव: नदी का बहना]

वक्ता: सबसे पहले, जब सूरज की किरणें जलाशयों, नदियों और महासागरों के पानी को गर्म करती हैं, तो पानी वाष्पित होकर वायुमंडल में चला जाता है। इसे वाष्पीकरण कहते हैं। वाष्पित पानी हवा में छोटे-छोटे जल कणों के रूप में एकत्रित होता है और बादल बनाता है।

[ध्वनि प्रभाव: हवा में गूंजती आवाज]

वक्ता: वायुमंडल में हवा के ठंडा होने पर यह जल वाष्प संघनित होकर बूंदों में बदल जाता है, जिसे संघनन कहते हैं। ये बूंदें एक साथ मिलकर बादल बनाती हैं। जब बादलों में जल बूंदों का वजन बढ़ जाता है, तो ये बूंदें बारिश के रूप में पृथ्वी पर गिरती हैं। इस प्रक्रिया को वर्षा कहते हैं।

[ध्वनि प्रभाव: बारिश की आवाज]

वक्ता: बारिश के बाद, पानी पुनः नदियों, झीलों और महासागरों में पहुँचता है और जल चक्र की प्रक्रिया पुनः शुरू हो जाती है। इस प्रकार, जल का चक्र निरंतर चलता रहता है और पृथ्वी पर जल की आपूर्ति बनाए रखता है।

[ध्वनि प्रभाव: झील का पानी और पंछियों की आवाज]

वक्ता: जल चक्र न केवल पृथ्वी पर जल की आपूर्ति को बनाए रखता है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण को भी संतुलित रखता है। इसलिए, हमें जल संसाधनों का सही उपयोग और संरक्षण करना चाहिए।

[आउट्रो म्यूजिक बजता है]

वक्ता: आशा है कि आप सभी को जल का चक्र अच्छे से समझ में आ गया होगा। अगले सत्र में हम एक और रोचक विज्ञान के प्रकरण पर चर्चा करेंगे। तब तक के लिए, धन्यवाद।

[इंट्रो म्यूजिक समाप्त होता है]

प्रश्न 3. प्रमाप और शाखीय अभिक्रमित अधिगम सामग्री में तुलना कीजिए।


प्रमाप (Module) और शाखीय अभिक्रमित अधिगम सामग्री (Branching Programming Learning Material) दोनों ही शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के महत्वपूर्ण उपकरण हैं, लेकिन इनकी संरचना और उपयोग में विभिन्नता होती है।

  1. प्रमाप (Module):
  • संरचना: प्रमाप एक स्वायत्त इकाई होती है जो किसी विशेष विषय या अवधारणा को गहराई से कवर करती है। इसमें शिक्षण सामग्री, अभ्यास प्रश्न, और मूल्यांकन उपकरण शामिल होते हैं।
  • लचीला अधिगम: प्रमाप छात्रों को अपने गति से सीखने की सुविधा प्रदान करता है। वे किसी भी समय और कहीं भी प्रमाप का अध्ययन कर सकते हैं।
  • स्वतंत्र अध्ययन: प्रमाप स्वतंत्र अध्ययन को बढ़ावा देता है, जिससे छात्र स्वयं अपने अधिगम की निगरानी कर सकते हैं और आवश्यकतानुसार दोहराव कर सकते हैं।
  • व्यक्तिगत ध्यान: प्रमाप व्यक्तिगत ध्यान और फीडबैक की सुविधा देता है, जिससे छात्रों की आवश्यकताओं और क्षमताओं के अनुसार शिक्षण किया जा सकता है।
  1. शाखीय अभिक्रमित अधिगम सामग्री (Branching Programming Learning Material):
  • संरचना: शाखीय अभिक्रमित अधिगम सामग्री एक अनुकूली शिक्षण पद्धति है जिसमें विभिन्न पथ या शाखाएँ होती हैं। छात्र अपने उत्तरों के आधार पर विभिन्न पथों पर नेविगेट करते हैं।
  • प्रतिक्रिया आधारित अधिगम: इस पद्धति में छात्रों को उनके उत्तरों के अनुसार तत्काल प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन मिलता है। सही उत्तर देने पर वे अगले चरण पर बढ़ते हैं, जबकि गलत उत्तर देने पर उन्हें सुधारात्मक फीडबैक और पुनः प्रयास का
  • अवसर मिलता है।
  • अनुकूलित शिक्षण: शाखीय अभिक्रमित अधिगम सामग्री छात्रों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं और उनके सीखने की गति के अनुसार अनुकूलित होती है। यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक छात्र को उसके ज्ञान स्तर के अनुसार सामग्री प्राप्त हो।
  • संवेदनशीलता: यह पद्धति छात्रों को त्रुटियों से सीखने और अपनी गलतियों को सुधारने के लिए संवेदनशील बनाती है। यह छात्र के आत्मविश्वास और समस्या समाधान कौशल को बढ़ावा देती है।
  • प्रश्न 4. कक्षा अनुदेशन को एक प्रणाली मानते हुए प्रणाली उपागम के पदों की व्याख्या कीजिए।
  • कक्षा अनुदेशन को एक प्रणाली मानते हुए, प्रणाली उपागम (System Approach) के विभिन्न पदों की व्याख्या निम्नलिखित है:
  • लक्ष्य निर्धारण (Setting Objectives):
  • उद्देश्य: कक्षा अनुदेशन की प्रक्रिया का पहला कदम स्पष्ट और मापने योग्य शिक्षण उद्देश्यों को निर्धारित करना है। ये उद्देश्य छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं और पाठ्यक्रम के लक्ष्यों के आधार पर तय किए जाते हैं।
  • उदाहरण: एक गणित कक्षा में, उद्देश्य हो सकता है कि छात्र त्रिभुजों के प्रकार और उनके गुणधर्मों को समझ सकें।
  • आवश्यकताओं का विश्लेषण (Needs Analysis):
  • प्रक्रिया: छात्रों की पूर्व ज्ञान, क्षमताओं और अधिगम शैली का विश्लेषण किया जाता है ताकि शिक्षण विधियों और सामग्री को अनुकूलित किया जा सके।
  • उदाहरण: छात्रों की प्रारंभिक गणितीय समझ और उनकी अधिगम गति का मूल्यांकन किया जाता है।
  • संसाधनों की पहचान (Identifying Resources):
  • संसाधन: शिक्षण सामग्री, तकनीकी उपकरण, और अन्य सहायक संसाधनों की पहचान और चयन किया जाता है।
  • उदाहरण: पाठ्यपुस्तकें, स्मार्ट बोर्ड, ऑडियो-विजुअल सामग्री, और ऑनलाइन संसाधन।
  • प्रक्रिया का डिज़ाइन (Designing the Process):
  • निर्धारण: शिक्षण प्रक्रिया के विभिन्न चरणों और गतिविधियों का योजनाबद्ध ढंग से डिज़ाइन किया जाता है। इसमें शिक्षण विधियाँ, अधिगम गतिविधियाँ, और मूल्यांकन विधियाँ शामिल होती हैं।
  • उदाहरण: व्याख्यान, समूह चर्चा, प्रायोगिक गतिविधियाँ, और कक्षा परीक्षण।
  • कार्यान्वयन (Implementation):
  • अभ्यास: शिक्षण योजनाओं को कक्षा में वास्तविक रूप से लागू किया जाता है। शिक्षक निर्धारित विधियों और सामग्रियों का उपयोग करके शिक्षण प्रक्रिया को संचालित करते हैं।
  • उदाहरण: शिक्षक गणित की कक्षा में त्रिभुजों के प्रकारों पर व्याख्यान देते हैं और छात्रों को विभिन्न प्रकार के त्रिभुजों की पहचान करने के लिए अभ्यास करवाते हैं।
  • मूल्यांकन (Evaluation):
  • मूल्यांकन: छात्रों की प्रगति और समझ का निरंतर मूल्यांकन किया जाता है। यह मूल्यांकन प्रारंभिक, संचयी, और समापनात्मक हो सकता है।
  • उदाहरण: कक्षा के अंत में त्रिभुजों पर आधारित एक परीक्षण लिया जाता है और छात्रों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है।
  • प्रतिपुष्टि (Feedback):
  • फीडबैक: मूल्यांकन के आधार पर छात्रों और शिक्षकों दोनों को प्रतिपुष्टि दी जाती है। यह फीडबैक शिक्षण प्रक्रिया में आवश्यक सुधारों और समायोजन को निर्देशित करता है।
  • उदाहरण: परीक्षण के परिणामों के आधार पर छात्रों को उनके त्रुटियों और सुधार के क्षेत्रों के बारे में फीडबैक दी जाती है।
  • सुधार (Revision and Improvement):
  • सुधार: प्रतिपुष्टि के आधार पर शिक्षण प्रक्रिया और सामग्री में सुधार किया जाता है ताकि अगले चरण में शिक्षण और अधिक प्रभावी हो सके।
  • उदाहरण: यदि छात्रों ने त्रिभुजों की कुछ अवधारणाओं को सही से नहीं समझा, तो शिक्षक उन अवधारणाओं को पुनः स्पष्ट करते हैं और अतिरिक्त अभ्यास करवाते हैं।

इस प्रकार, कक्षा अनुदेशन को एक प्रणाली के रूप में देखते हुए, प्रणाली उपागम शिक्षण प्रक्रिया को संगठित, नियंत्रित, और सुधारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल शिक्षण की गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि छात्रों की अधिगम प्रक्रिया को भी अधिक संरचित और उद्देश्यपूर्ण बनाता है।

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