शिक्षा में नाटक और कला (drama and art in education)

इस लेख में हम निम्न प्रश्नों आंसर पढ़ सकते हैं –

  1. शिक्षा में नाटक एवं कला
  2. कला
  3. पेपर क्राफ्ट
  4. छापांकन
  5. कोलाज
  6. क्ले मॉडलिंग
  7. रंगोली
  8. संदर्भ पुस्तके

1.शिक्षा में नाटक एवं कला

शिक्षा में, **नाटक (Drama)** एक प्रमुख कला रूप है जिसमें किसी कहानी को अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। यह कला रूप अभिनेता, नाटककार, नृत्यशास्त्र, संगीत, और साहित्य के संयोजन से बनता है। नाटक का मुख्य उद्देश्य दर्शकों को मनोरंजन करने के साथ-साथ विचारों और सामाजिक संदेशों का संवेदनशीलता कराना होता है।**कला (Art)** एक रंगीन और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की रूपरेखा है, जो संवेदना, विचार, और भावनाओं को साझा करने का एक माध्यम है। कला विभिन्न रूपों में प्रस्तुत की जा सकती है, जैसे कि चित्रकला, संगीत, नृत्य, नृत्यशास्त्र, रंगमंच कला, आदि। यह व्यक्ति की अद्वितीयता और दृष्टिकोन को प्रकट करने का माध्यम होती है, जिससे समाज में रस, सौंदर्य और समझ बढ़ती है।

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2.कला का अर्थ परिभाषा एवं विशेषता

**कला (Art)** का शाब्दिक अर्थ होता है मानव अनुभवों, भावनाओं, या विचारों को सांगठन, अभिव्यक्ति, या सृजनात्मक रूप में प्रस्तुत करने की क्रिया। कला कलाकारों की अद्वितीय दृष्टिकोन, संवेदनशीलता, और सृजनात्मकता का परिचायक होती है जिससे समाज में विचारों, भावनाओं, और समझ की गहराईयों को समझने में मदद मिलती है। कला का प्रयोग विभिन्न शैलियों, माध्यमों, और रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि चित्रकला, संगीत, नृत्य, रंगमंच कला, सिनेमा, और साहित्य।

*कला (Art)** एक संवेदनशील और रंगीन अभिव्यक्ति की रूपरेखा है जिसमें विचार, भावनाएँ, या जज्बात कला के माध्यम से प्रकट की जाती हैं। यह व्यक्ति के रूप, दृष्टिकोन, और दर्शन की अद्वितीयता को प्रकट करने का माध्यम होती है और अकसर समाज, संस्कृति, और विश्व के विचारों को संकेत करती है। कला विभिन्न रूपों में प्रस्तुत की जा सकती है, जैसे कि चित्रकला, संगीत, नृत्य, सिनेमा, नृत्यशास्त्र, रंगमंच कला, और साहित्य।

कला की विशेषताएं

  • 1. **व्यक्तिगत अभिव्यक्ति:** कला मानव विचारों, भावनाओं, और अनुभवों को व्यक्त करने का एक माध्यम होती है। यह कला कलाकारों के व्यक्तिगत दृष्टिकोन को प्रकट करने की अनुमति देती है।
  • 2. **संस्कृति और इतिहास का परिचायक:** कला विभिन्न समय और स्थानों की संस्कृति और इतिहास को प्रकट कर सकती है। यह समाज की भविष्यवाणी और विकास में भी मदद करती है।
  • 3. **रस, सौंदर्य, और भावना:** कला साक्षात्कार, रस, सौंदर्य, और भावनाओं की गहराईयों को समझाने में मदद करती है।
  • 4. **समाज में परिचिति:** कला के माध्यम से विभिन्न विचारों और संवेदनाओं को समझाया जा सकता है, जिससे लोग समाज में एक-दूसरे के सोचने के तरीकों को समझ सकते हैं।
  • 5. **संवेदनशीलता और सृजनात्मकता:** कला संवेदनशीलता की ऊँचाईयों तक जा सकती है और सृजनात्मकता को प्रोत्साहित कर सकती है, जिससे नई रचनात्मक विचार और आविष्कार हो सकते हैं।
  • 6. **विविधता और विवाद:** कला विविधता को महत्व देती है और विवादित मुद्दों पर चर्चा करने की प्रेरणा देती है, जिससे समाज में नए दृष्टिकोण सामने आ सकते हैं।
  • 7. **आत्म-समर्पण और विश्वास:** कला कलाकार की आत्म-समर्पण और उनके विश्वास को प्रकट करने का माध्यम बनती है, जो समर्पितता और निष्ठा की प्रेरणा देती है।

इन पाँच पॉइंट्स के माध्यम से, कला की विशेषताएँ समझाई जा सकती हैं। यह एक व्यापक और गहरी दृष्टिकोन की कला है जो मानव संसार को समझने में मदद करती है।

3.पेपर क्राफ्ट

पेपर क्राफ्ट (Paper Craft) एक कला शैली है जिसमें कागज़ का उपयोग रंगीन, संरचित और संवेदनशील आइटम्स बनाने के लिए किया जाता है। पेपर क्राफ्ट में पेपर के टुकड़ों को आकर्षक आर्टवर्क्स, ग्रीटिंग कार्ड्स, डेकोरेटिव आइटम्स, पेपर स्कलप्टर, और अन्य सुविधाओं के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है। यह एक संवेदनशील और सृजनात्मक कला प्रक्रिया है जिसमें पेपर की विभिन्न प्रकार की टेक्निक्स का उपयोग किया जाता है। पेपर क्राफ्ट का उद्देश्य विचारशीलता और रंगीनी भरना होता है जिससे सुंदर और आकर्षक आइटम्स बन सकें।
जी हां, पेपर क्राफ्ट के बारे में कुछ और जानकारी है:

  1. उपयोगिता: पेपर क्राफ्ट का उपयोग घरेलू डेकोरेशन, ग्रीटिंग कार्ड्स, गिफ्ट व्रापिंग, नाटकीय प्रस्तुतियाँ, और शिक्षात्मक उपयोग के लिए किया जा सकता है।
  2. आवश्यक सामग्री: पेपर क्राफ्ट के लिए आमतौर पर विभिन्न प्रकार के कागज़, काटने के उपकरण, गोंद, ग्लिटर, फ़ीव्वा, और गोल्ड/सिल्वर फ़ॉयल का उपयोग किया जाता है।
  3. विभिन्न तकनीकियाँ: पेपर क्राफ्ट में कटाई, फोल्डिंग, रोलिंग, क्विलिंग (कागज़ को पतले सिरे से घुमाना), डेकोपेजिंग (पेपर की तह को छीलना), एम्बॉसिंग (रेज़िंग के साथ कागज़ की सतह उच्च करना), और पेपर माचे (कागज़ की चिप्स को गोंद और पानी से मिलाकर बनाया गया अद्वितीय सामग्री) जैसी विभिन्न तकनीकियाँ शामिल होती हैं।
  4. शिक्षात्मक महत्व: पेपर क्राफ्ट शिक्षा में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह छात्रों को सृजनात्मकता, तकनीक, और संवेदनशीलता का अभ्यास करने का अवसर प्रदान करती है।
  5. समुदाय में उपयोग: पेपर क्राफ्ट विभिन्न कृषि उत्पादों की पैकिंग, सामाजिक संगठनों द्वारा आयोजित की जाने वाली क्रिएटिव इवेंट्स में, और खुद की व्यवसायिक प्रस्तुतियों में भी प्रयुक्त की जाती है।

पेपर क्राफ्ट विश्वभर में कला प्रेमियों, शिक्षकों, और विश्वासियों के बीच पसंद की जाती है, जिससे विचारशीलता और सृजनात्मकता का संकेत मिलता है।

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4.छापांकन

प्राचीन समय में और आजकल भी, अनेक आदिवासी समुदाय अपनी संस्कृति, कला, और शैली को छापांकन के माध्यम से व्यक्त करते हैं। यह उनकी सांस्कृतिक विरासत को प्रकट करने का एक माध्यम बनता है।आदिवासी समुदायों में विभिन्न प्रकार की छापांकन तकनीकें उपयुक्त होती थीं, जिसमें लोकप्रिय थी जैसे कि वुडकटिंग (woodcutting) और स्टोन कार्विंग (stone carving)। यह तकनीकें चित्रों को पत्थर या लकड़ी के टुकड़ों पर बनाने के लिए प्रयुक्त होती थीं।

इन छापांकन कलाओं में, आदिवासी समुदाय अपनी जीवनशैली, धार्मिक अनुष्ठान, संस्कृति और प्राकृतिक वातावरण को व्यक्त करते थे। यह छापांकन उनकी कथा-वाचनीय परंपराओं और जीवनशैली का महत्वपूर्ण हिस्सा था।

आजकल भी, कुछ आदिवासी समुदाय इन प्राचीन छापांकन तकनीकों का उपयोग करते हुए अपनी संस्कृति को संजीवनी दे रहे हैं और उसे संजीवनी रुप में बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं।

छपांकन की परिभाषा

चित्रों का कागज पर छपांकन (Printmaking on Paper) एक कला प्रक्रिया है जिसमें चित्रकला का मैट्रिक्स (मास्टर डिज़ाइन) पेपर या कागज़ पर छपाया जाता है। इस प्रक्रिया में, मैट्रिक्स को इंक से लगाया जाता है और फिर इसे पेपर पर प्रेस के माध्यम से ट्रांसफर किया जाता है, जिससे प्रिंट बनता है। यह कला प्रक्रिया कलाकार को उनके विचारों, रंगों, और रूचि को प्रकट करने का माध्यम प्रदान करती है। छापांकन की प्रमुख तकनीकों में लिथोग्राफी, इंटाग्लियो, लाइनोलियम कटनी, स्क्रीन प्रिंटिंग, और ग्राव्यूर शामिल हो सकती हैं।

एक बालक अपने घर पर कुछ सामान्य छापांकन तकनीकों का उपयोग करके छपांकन का प्रयोग कर सकता है।

यहाँ एक सरल उदाहरण है कैसे एक बालक एक प्याज की छपांकन बना सकता है:

  • 1. **सामग्री संग्रहण:** पहले, उसको एक प्याज का कटा हुआ टुकड़ा चाहिए, जो छपांकन का मैट्रिक्स बनेगा।
  • 2. **डिज़ाइन तैयारी:** उसको प्याज की कटाई की सतह पर उसका डिज़ाइन बनाना होगा। वह यहाँ किसी भी सादागी से चित्र, लाइन या आकृति बना सकता है।
  • 3. **इंकिंग:** अब, उसको एक प्याज की कटाई की सतह पर इंक लगानी होगी। इंक को सतह पर अच्छे से फैलाना होगा।
  • 4. **छपाई:** इंक लगाने के बाद, वह प्याज का छपांकन पेपर या कागज़ की सतह पर धीरे-धीरे दबाएगा।
  • 5. **प्रिंट निकालना:** छपाई के बाद, वह पेपर को ध्यान से उठाएगा जिससे छपांकन प्रिंट पेपर पर प्रकट होगा।

इस तरह, उस बालक ने सामान्य घरेलू सामग्री से एक सरल छपांकन बनायी। यह उसकी रचनात्मकता को प्रकट करने का एक अद्वितीय तरीका हो सकता है।

5.कोलाज

कोलाज की परिभाषा क्या है?

कोलाज एक कला प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न सामग्रियों को एक संयोजन के रूप में मिलाकर नए चित्र या अर्थपूर्ण रचनाएँ बनाई जाती हैं। इस प्रक्रिया में, कलाकार चित्रित सामग्री को काटकर, फाड़कर, या गुड़गुड़ाते हुए उसे एक साथ लगाता है, जिससे नई तस्वीर बनती है।

यह विभिन्न रंग, टेक्स्चर, पैटर्न, और टेक्स्चर की विविधता में व्यक्तिगत रचनात्मकता को प्रकट करने का एक माध्यम हो सकती है। कोलाज विभिन्न सामग्रियों के संयोजन से उत्पन्न होने के लिए संयुक्त कला की एक अद्वितीय रूप है।

कोलाज को कैसे बनाया जा सकता है?

कोलाज बनाने के लिए आप निम्नलिखित कदमों का पालन कर सकते हैं:

  • 1. **सामग्री का चयन:** सबसे पहला कदम सामग्री का चयन करना है। आप कागज़, फ़ोटोग्राफ़, स्क्रैप्स, फ़ैब्रिक, रंग, इंक, चित्रित पत्तियाँ, या किसी अन्य सामग्री का उपयोग कर सकते हैं।
  • 2. **सामग्री को काटना या फ़ाड़ना:** चयनित सामग्री को आप चाहे तो आकृति में काट सकते हैं या उसे फ़ाड़ सकते हैं ताकि यह आपकी रचना के लिए उपयुक्त हो।
  • 3. **अर्थपूर्ण व्यवस्था:** चित्रित सामग्री को अर्थपूर्ण रूप में व्यवस्थित करें। आप इन्हें कागज़ पर लेआउट के रूप में व्यवस्थित कर सकते हैं।
  • 4. **जड़ना या पेस्ट करना:** आप सामग्री को कागज़ पर जड़ सकते हैं या पेस्ट कर सकते हैं ताकि वह स्थायी हो जाए।
  • 5. **संदेश या रचना का प्रवर्तन:** कोलाज बनाते समय आप एक विशेष संदेश या रचना को प्रकट करने का प्रयास कर सकते हैं। आप रंग, छवियाँ, या विचारों का संयोजन करके अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन कर सकते हैं।
  • 6. **संज्ञान और संदेश:** आपका कोलाज जगह और प्रवृत्ति के आधार पर देखने वालों को एक विशेष संदेश प्रस्तुत कर सकता है। इसे देखने वाले व्यक्ति की ध्यान केंद्रित करने के लिए उपयोग कर सकते हैं।

कोलाज के शिक्षा में आवश्यकता या महत्व क्या है?

कोलाज शिक्षा में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है:

  • 1. **रचनात्मक विकास:** कोलाज रचनात्मकता की विकसित करने में मदद कर सकता है। यह छावियों, रंगों, और विचारों को संयोजित करने की कला है, जिससे छात्रों की रचनात्मकता में वृद्धि होती है।
  • 2. **संवेदनशीलता और अभिव्यक्ति:** कोलाज छात्रों को अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने की कला सीखाता है। यह उन्हें अपनी भावनाओं को चित्रित करने की अनूठी तकनीक सिखाता है।
  • 3. **समस्याओं का समाधान:** कोलाज छात्रों को विचार करने, समस्याओं का समाधान निकालने, और नई रचनाओं बनाने के लिए सोचने की क्षमता प्रदान कर सकता है।
  • 4. **सामजिक और सांस्कृतिक समझ:** कोलाज के माध्यम से छात्र सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों को समझ सकते हैं। वे विभिन्न सामग्रियों को संयोजित करके समाज में विभिन्नता और विशेषता की महत्वता को समझ सकते हैं।
  • 5. **कला की समझ:** कोलाज कला के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद कर सकता है, जैसे कि रंग, रूप, संरचना, और टेक्स्चर।इस तरह, कोलाज शिक्षा में रचनात्मकता, अभिव्यक्ति, समस्या समाधान, सामाजिक समझ, और कला की समझ को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

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6.क्ले मॉडलिंग

क्ले मॉडलिंग (Clay Modeling) एक कला प्रक्रिया है जिसमें कीचड़ या उसी तरह की मिट्टी का उपयोग करके 3D मॉडल्स, स्कल्प्चर, या चित्र बनाना शामिल होता है। यह तकनीक कला के क्षेत्र में प्रस्थित है और विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक और रचनात्मक उत्पादों के निर्माण में प्रयुक्त होती है। क्ले मॉडलिंग कलाकारों को मिट्टी को आकृतिक रूप देने में समर्थता प्रदान करती है, जिससे वे अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन कर सकते हैं।

क्ले मॉडलिंग में कलाकार उस मिट्टी को हाथों से मोल लेते हैं और उसे विभिन्न आकृतियों में मोड़ने का काम करते हैं। यह एक रचनात्मक और मनोहारी प्रक्रिया है जिसमें कलाकार अपनी सोच और कल्पना को मिट्टी के माध्यम से रूप देते हैं।

क्ले मॉडलिंग एक रचनात्मक प्रक्रिया है जिसमें क्ले (मिट्टी) का उपयोग करके विभिन्न आकृतियाँ, स्कल्प्चर, या मॉडल्स बनाए जाते हैं। यह कला फिने आर्ट्स के क्षेत्र में प्रस्थित है और रंग, आकृति, और विचार को 3D रूप में प्रकट करने का एक माध्यम है। क्ले मॉडलिंग कला के प्रति विशेष रुचि रखने वाले कलाकारों द्वारा की जाती है जो अपनी कल्पना और कौशल का प्रदर्शन करना चाहते हैं।

क्ले मॉडलिंग में कलाकार मिट्टी को आकृतिक रूप में मोड़कर स्कल्प्ट्यूरल पीसेस (उदाहरण के लिए, मूर्तियाँ) बना सकते हैं। इसमें कलाकार की धार्मिकता और उत्साह का प्रदर्शन होता है, और यह उनकी कल्पना को जीवंत करने की अनूठी कला है। इसके लिए कई प्रकार के क्ले, जैसे कि पॉटरी क्ले, स्क्यूल्प्टिंग क्ले, और एयर-ड्राय क्ले, का उपयोग किया जा सकता है।

7. रंगोली

रंगोली एक प्रमुख भारतीय सांस्कृतिक प्रथा है, जिसमें विभिन्न रंगों की पाउडर या रंग के रेशमी धागों का उपयोग करके भूमि पर विभिन्न आकृतियों और दृष्टिकोणों में रचना की जाती है। रंगोली का उद्देश्य संतुलन, सुंदरता, और समृद्धि का प्रतीक बनाना होता है, और यह भारतीय उपमहाद्वीप में विशेष रूप से दीवाली, दिपावली, पोंगल, नवरात्रि आदि जैसे त्योहारों पर बनाई जाती है। यह एक प्रमुख रूप में भारतीय संस्कृति और लोककला का हिस्सा है जो समृद्धि और खुशियों की भावना को दर्शाता है।

रंगोली शिक्षा में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभा सकती है:

  • 1. **रंगोली कला की शिक्षा:** रंगोली एक विशेष प्रकार की कला है जो रंगों, आकृतियों, और दृष्टिकोणों की संवेदनशीलता को प्रकट करती है। इसमें रंगों की सही व्यवस्था और उन्हें संरचित आकृतियों में परिणत करने की कला का अभ्यास किया जा सकता है।
  • 2. **संवेदनशीलता और रचनात्मकता:** रंगोली बनाने में संवेदनशीलता और रचनात्मकता का प्रदर्शन किया जा सकता है। यह छात्रों को उनकी कल्पना का व्यक्तिगत रूप देने की कला सिखाती है।
  • 3. **विश्वास और समरसता:** रंगोली कला में समरसता और संवेदनशीलता का प्रदर्शन करना आवश्यक होता है, जो समृद्धि, संबंध, और समरसता की भावना को दर्शाता है। इससे छात्रों में विश्वास बढ़ता है और वे गर्व से अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
  • 4. **सांस्कृतिक विविधता की समझ:** रंगोली विभिन्न क्षेत्रों, समुदायों, और राष्ट्रीय संपर्कों की सांस्कृतिक विविधता को प्रकट कर सकती है। यह छात्रों को विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं की समझ प्रदान कर सकती है।

रंगोली की यह कला शिक्षा में भावनात्मक, रचनात्मक, और सामाजिक सीखने के अनूठे तरीके प्रदान कर सकती है और छात्रों में सामाजिक संवेदनशीलता और समरसता की भावना को बढ़ावा दे सकती है।

8.संदर्भ पुस्तके

संदर्भ पुस्तकपरीभाषासंदर्भ पुस्तकें गैर-काल्पनिक पुस्तकें होती हैं जिनमें किसी विषय या विषयों के बारे में तथ्यात्मक जानकारी होती है। इनका इस्तेमाल अक्सर शोध के लिए और किसी विषय के बारे में ज़्यादा जानने के लिए किया जाता है। आम तौर पर, इन्हें शुरू से अंत तक पढ़ने के लिए नहीं बनाया जाता। ये पुस्तकें संदर्भ या पृष्ठभूमि स्रोत के रूप में भी जानी जाती हैं और विभिन्न प्रकार की जानकारी प्रदान करने में मदद करती हैं।संदर्भ पुस्तकों की आवश्यकतासंदर्भ पुस्तकें ज़रूरी होती हैं क्योंकि वे विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञता और जानकारी प्रदान करती हैं।

यहाँ कुछ कारण हैं जिनके कारण संदर्भ पुस्तकों की आवश्यकता होती है:

  • 1. **संदर्भ स्रोत:** संदर्भ पुस्तकें विशेष जानकारी के स्रोत के रूप में कार्य करती हैं जो अन्य लेखकों या शोधकर्ताओं द्वारा प्रमुख विषयों पर लिखी गई हैं।
  • 2. **शोध और अध्ययन:** शोधकर्ताओं और पढ़ाई करने वालों के लिए संदर्भ पुस्तकें महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि वे विशेष विषयों में गहरी जानकारी प्रदान करती हैं जो सामान्य पुस्तकों में नहीं मिलती।
  • 3. **उच्च शिक्षा:** शिक्षा के क्षेत्र में भी संदर्भ पुस्तकें महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे विषयगत ज्ञान को बढ़ावा देती हैं और छात्रों को विषय में महत्वपूर्ण बातें सिखाती हैं।
  • 4. **संदर्भ और अनुसंधान:** विशेष क्षेत्र में संदर्भ पुस्तकें अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण होती हैं, जो नई जानकारी की खोज में मदद करती हैं।

इसी तरह, संदर्भ पुस्तकें ज्ञान के स्रोत के रूप में भी कार्य करती हैं और विभिन्न क्षेत्रों में गहराई से जानने का मार्ग प्रदान करती हैं।

संदर्भ पुस्तकों का चयन करते समय ध्यान देने वाले कुछ महत्वपूर्ण कारक हैं:

  • 1. **विषय का चयन:** संदर्भ पुस्तकों का चयन करते समय पहले तो आपको विषय का चयन करना होगा। आपकी आवश्यकताओं और शोध के उद्देश्यों के आधार पर उस विषय की पुस्तकों का चयन करें जिसमें आपको ज्यादा जानकारी चाहिए।
  • 2. **लेखक और प्रकाशक:** अगर किसी विशेष लेखक या प्रकाशक की गहरी जानकारी चाहिए, तो उनकी पुस्तकें चुनना फायदेमंद हो सकता है।
  • 3. **संदर्भ पुस्तक की मान्यता:** संदर्भ पुस्तकों की मान्यता और प्रसिद्धि का मूल्यांकन करें। प्रस्थिति, संदर्भ, और प्रमुखता की दृष्टि से उच्च प्रमाणमाप्य संदर्भ पुस्तकों का चयन करें।
  • 4. **संदर्भ स्रोत:** संदर्भ पुस्तकें जैसे कि शब्दकोश, विश्वकोश, निर्देशिका, ग्रंथ सूची आदि संदर्भ स्रोतों के रूप में उपयुक्त होती हैं।
  • 5. **ऑनलाइन और प्रिंट संदर्भ पुस्तकें:** आपकी उपयोगिता और सुविधा के आधार पर, आप ऑनलाइन संदर्भ पुस्तकों का उपयोग कर सकते हैं या प्रिंट पुस्तकों की खोज कर सकते हैं।
  • 6. **समीक्षाएँ और रेटिंग्स:** पुस्तकों की समीक्षाएँ और रेटिंग्स को पढ़कर आप उनकी मान्यता को समझ सकते हैं। अन्य पठकों के अनुभवों को जानकर संदर्भ पुस्तकों का चयन करें।
  • 7. **पुस्तक की संपत्ति:** अगर संदर्भ पुस्तक की संपत्ति उपलब्ध है, तो आप उसे आधुनिक तकनीक से जाँच सकते हैं, जैसे कि डिजिटल तकनीक से शब्दकोश का अनुशासन।यह सभी कारक आपको उपयुक्त संदर्भ पुस्तकों का चयन करने में मदद कर सकते हैं।

संदर्भ पुस्तकें गैर-काल्पनिक पुस्तकें होती हैं जिनमें किसी विषय या विषयों के बारे में तथ्यात्मक जानकारी होती है. इनका इस्तेमाल अक्सर शोध के लिए और किसी विषय के बारे में ज़्यादा जानने के लिए किया जाता है. आम तौर पर, इन्हें शुरू से अंत तक पढ़ने के लिए नहीं बनाया जाता.

संदर्भ पुस्तकों के बारे में कुछ और बातें:

  • – संदर्भ पुस्तकों को अक्सर “अपनी विषय-वस्तु की व्यवस्था और उपचार द्वारा डिज़ाइन की गई पुस्तक” के रूप में परिभाषित किया जाता है
  • .- इन्हें लगातार पढ़ने के बजाय, जानकारी की निश्चित वस्तुओं के लिए परामर्श किया जाता है.- संदर्भ पुस्तकों को संदर्भ या पृष्ठभूमि स्रोत या संसाधन भी कहा जाता है.
  • – संदर्भ स्रोतों के कुछ उदाहरण हैं: शब्दकोश, विश्वकोश, ग्रंथ सूची, पंचांग, निर्देशिका, एटलस, और हैंडबुक.- ये ऑनलाइन या प्रिंट में हो सकते हैं.
  • – संदर्भ पुस्तकें आपको ज्ञान के नए आयामों की ओर ले जाती हैं.
  • – ये जीवन के बारे में विभिन्न दृष्टिकोणों से किसी विशेष विषय की खोज करने में भी मदद करती हैं.
  • – संदर्भ स्रोत मानक कृतियाँ हैं जो सूचना के विशिष्ट प्रकार को खोजने के लिए उपयोगी हैं. ये पुस्तकें, क्रमिक प्रकाशन, ऑनलाइन डेटाबेस, या इंटरनेट भी हो सकते हैं.

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